अगले कुछ महीनों में देश में चुनावी गतिविधियां बढ़ेंगी। नई लोकसभा का गठन 2024 में होना है। इसके लिए पक्ष और विपक्ष पार्टियों ने अपने-अपने तरीके से तैयारियां शुरू कर दी हैं। इससे पहले सरकार 1 फरवरी को बजट पेश करेगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बार बजट आधा-अधूरा ही होगा। इसलिए इसे रेगलुर बजट नहीं बल्कि अंतरिम बजट कहा जाएगा। आख़िर इस बजट और पूर्ण बजट में क्या अंतर है?
आमतौर पर अंतरिम बजट हमेशा चुनावी साल में पेश किया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चुनाव के बाद चुनी गई नई सरकार पूरा बजट अपने हिसाब से तैयार करती है। इसलिए चुनाव के बाद सरकार बनाने की प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसके बाद पूरा बजट संसद के नए सेशन में पेश किया जाता है।
इसे आधा-अधूरा बजट क्यों कहा जाता है?
अंतरिम बजट एक टेंपरेरी बजट होता है। इस बजट में सरकार आम तौर पर नई घोषणाएं और टैक्स सिस्टम में बदलाव करने से बचती है। इस बजट में पिछले वर्ष के वित्तीय आंकड़ों की जानकारी होती है। जबकि पिछले साल का बजट 31 मार्च तक वैलिड रहता है, ऐसे में नई सरकार बनने तक सरकार केवल सामान्य सरकारी खर्च का ही प्रावधान करती है।
इसलिए भी लाया जाता है क्योंकि सरकार को सैलरी और डिपार्टमेंटल खर्चों पर पैसा खर्च करने के लिए संसद से अनुमति लेनी पड़ती है। इसलिए अंग्रेजी में इसे वोट ऑन अकाउंट भी कहा जाता है।
मोदी सरकार का दूसरा अंतरिम बजट
इस साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को मोदी सरकार का दूसरा अंतरिम बजट पेश करेंगी। इससे पहले साल 2019 में उस समय वित्त मंत्रालय देख रहे पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था। साल 2019 में पेश किए गए अंतरिम बजट की विपक्ष ने कड़ी आलोचना की थी क्योंकि उस वक्त बजट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का ऐलान किया गया था।
उस समय विपक्षी पार्टी कांग्रेस चुनाव प्रचार में व्यस्त थी और उसने न्याय योजना का चुनावी वादा किया था। मोदी सरकार की पीएम किसान योजना को इसका जवाब माना गया। सरकार ने इसे दिसंबर 2018 से लागू भी कर दिया था। प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत किसानों को प्रति वर्ष 6000 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।