Despite being common, this housewifes story is different : एक हाउसवाइफ की लाइफ देखने में सिंपल लगती है। चक्करघिन्नी की तरह चलती जिंदगी में अपने आप को भूल सिर्फ परिवार की केयर करना, उनकी जरूरतों को अपना बना लेना- सुनने में बहुत कॉमन लगता है लेकिन ये टॉपिक ऐसा है कि जिसे जितना कहा जाए उतना कम है। बॉलीवुड में यूं तो कई फिल्में बनी हैं जो एक हाउस वाइफ की जिंदगी को पर्दे पर उकेरती हैं तो फिर हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हुई 'मिसेज' की कहानी उनसे अलग कैसे है? तो चलिए आपको बताते हैं...
आम 'मिसेज' की अलग कहानी
फिल्म की कहानी लीड एक्ट्रेस सान्या मल्होत्रा के ईर्द-गिर्द घूमती है। जो एक पैशनेट डांसर है लेकिन दकियानूसी विचारों वाले परिवार में पैदा हुई है। उसे शादी के बाद भी ऐसा परिवार मिला जो और भी दकियानूसी विचारों में घिरा पड़ा है। हालांकि ऋचा इसे रियलाइज नहीं करती जब तक कि वो बेड़ियों में बंध नहीं जाती।
शादी के बाद ऋचा कितनी सफल
ऋचा खुशी खुशी माता-पिता के पसंद के लड़के से शादी करती है, जो कि पेशे से डॉक्टर है। प्रतिष्ठित परिवार का इकलौता बेटा है लेकिन शादी के बाद शुरू होती है उसकी बेस्ट हाउसवाइफ बनने की दौड़। अब इस दौड़ में ऋचा कितनी सफल होती है कितनी फेल। ये आप फिल्म देखकर पता लगाइये।०
शांति की छाप छोड़ती है फिल्म
फिल्म में ऋचा का किरदार इतना सधा हुआ दिखाया गया है कि उसे आवाज उठाने के लिए लड़ने की जरूरत नहीं है। वो सुबह 4 बजे उठने से लेकर रात को 11 बजे सोने तक सिर्फ एक आस लेकर चलती है कि कोई प्यार से उसे आवाज दे दे।
प्यार नहीं जरूरत का लिहाज
कोई उसकी कोशिशों की तारीफ कर दे, पर हर रात वो मायूस होकर सो जाती है। यहां तक कि उसका पति भी उसे प्यार नहीं जरूरत के लिहाज से देखता है। आप जब फिल्म देखते हैं तो आपको लगता है कि ये तो होता ही है। ये तो रोज की लाइफ है। घर का काम तो करना ही होता है। इसमें क्या खास है?
चिल्लाकर झगड़ना नहीं चाहती
लेकिन यहीं फिल्म कमाल कर जाती है। फिल्म की कहानी की नायिका चीख-चिल्लाकर झगड़ना नहीं चाहती। वो बड़ों को बेइज्जत करके अपना सम्मान हासिल नहीं करना चाहती। उसे परिवार, प्यार और साथ सब चाहिए। वो पहचान बनाना चाहती है लेकिन न तो पति, न सास-ससुर, न ही अपने मां-बाप सुनना चाहते हैं।
गाने और मसाला की कमी है
शांति में इतना शोर है कि आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि ये असल में हमारे सामने भी होता है लेकिन हम देख नहीं पाए। कैसे हम उस दर्द को अनदेखा कर गए। कहानी अपने ट्रैक से भटकती नहीं दिखती है। हां, लेकिन गाने और मसाला की कमी होने की वजह से आप बीच-बीच में थोड़ा बोर हो सकते हैं।
जाते-जाते एक जरूरी टिप
फिल्म का एंड मिस मत कीजिएगा, क्योंकि पूरी पिक्चर देखने के बाद जब आप ऋचा की फीलिंग्स से इत्तेफाक रखने लग जाते हैं तो उसका उठाया वो कदम सुकून दे जाता है और आप हंसते हुए वाह कहेंगे। फिल्म में सान्या मल्होत्रा से लेकर निशांत दहिया, कंवलजीत सिंह सभी का काम काफी सराहनीय है।
1 घंटा 51 मिनट की फिल्म
सान्या ने एक बार फिर अपनी एक्टिंग से लोगों का दिल जीत लिया है। बता दें, वो पहले भी पगलैट, मीनाक्षी सुंदरेश्वर जैसी फिल्मों में इंडियन हाउसवाइफ का किरदार निभा चुकी हैं। 1 घंटा 51 मिनट की ये फिल्म आप एक बार तो जरूर देख सकते हैं। फिल्म को आरती कदव ने डायरेक्ट किया है।