मौजूदा दौर में लोग कई तरह की बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं। इससे लोगों की मौतों में भी काफी इजाफा हुआ है। वहीं बीमारी के ट्रीटमेंट के दौरान लोगों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है क्योंकि बड़ी बीमारियों का इलाज काफी ज्यादा महंगा होता है। जिस वजह से देश के गरीब लोग उस बीमारी का इलाज भी नहीं करवा पाते हैं।
ऐसे में अब उन लोगों के लिए एक राहत की खबर सामने आई है। अगर लोगों को कम कीमतों पर ही बीमारी की जांच और दवाई की सुविधा मिल जाए तो उनके लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। जी हां देश में गंभीर बीमारियों की जांच और दवाइयों की कम कीमतों में सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एम्स दिल्ली ने एक अत्याधुनिक ईएम लैब तैयार की है।
इससे अब देश की फार्मा कंपनियों को अपने उत्पाद की वैज्ञानिक जांच के लिए दूसरे विदेशियों कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा क्योंकि अब दवाई की विश्वस्तरीय जांच सुविधा देश में ही मिल सकेगी। इतना ही नहीं इस लैब के जरिए नई दवाओं के ट्रायल के लिए लंबे समय का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। साथ ही इससे नई दवाइयों की लंबे समय के ट्रॉयल में तीन साल तक की कमी लाई जा सकती है।
जानें एम्स के प्रोफेसर लैब को लेकर क्या बताते हैं
एम्स दिल्ली के इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी सुविधा विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉक्टर सुभाषचंद्र यादव ने बताया कि करीब 50 करोड़ की लागत से कंवजेंस ब्लॉक में इस लैब को बनाया जा रहा है। इसमें 8 क्रायो इलेक्ट्रॉन मशीन लगाई जा चुकी है और 4 अभी आने वाली है।
वहीं इस जांच के लिए भारतीय दवा निर्माता कंपनियों को युरोपीय देश जर्मनी को एक लाख 30 हजार रुपए का भुगतान करना पड़ता है लेकिन एम्स दिल्ली में यह टेस्ट महज 13 हजार रूपी में कराया जा सकता है।
साथ ही बताया कि इस मशीन से बीके वायरस की सटीक जांच की जा सकती है। वहीं इस वायरस की जांच करने के लिए एक नई तकनीक बिकेवी नैनो लैब बनाया गया है जिससे 5 हजार रुपए वाला टेस्ट अब केवल 100 रुपए में हो सकेगी।
बीकेवी नैनो लैब से 3 घंटे में मिलेगा रिपोर्ट
बता दें कि बिकेवी नैनो लैब में टेस्ट करवाने से रिपोर्ट में लगने वाले समय में भी बचत होगी यानि जो रिपोर्ट 7 दिन में मिलती हैं अब वो 3 घंटे में मिल सकेगी। बता दें कि बीके वायरस अक्सर किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले पेशेंट की किडनी डैमेज कर देता है जिससे उस पेशेंट की नई किडनी भी खराब हो जाती है।
सर्वाइकल कैंसर के लिए दो नई तकनीक विकसित
सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए एम्स ने इस लैब में एमएनक्यू और डीसीआईएनएफए तकनीक शुरू की है। वहीं इस तकनीक से करीब 6 हजार वाल टेस्ट सिर्फ 100 में कराया जा सकता है। वहीं इस तकनीक से जांच के बाद रिपोर्ट आधे घंटे में मिल सकती है।
साथ ही प्रोफेसर यादव बताते हैं कि फिलहाल एम्स अपनी लैब से 40 से 50 लाख रुपए सालाना राजस्व जमा कर रहा है जिसके 5 करोड़ रूपय सालाना के स्तर पर पहुँचने की उम्मीद है। वहीं लैब संबंधी प्रोजेक्ट के लिए सरकार के आईसीएमआर, डीबीटी, और एनएसआरबी इंडिया ने फंड उपलब्ध कराया है।