खबरिस्तान नेटवर्क: चीन के किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में सभी रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने जॉइंट स्टेट पर साइन करने से मना कर दिया है। गुरुवार यानी की आज हुई इस बैठक में भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिस्सा लिया था। जॉइंट स्टेटमेंट में पहलगाम में हुए आतंकी हमले को शामिल ही नहीं किया गया था वहीं बलूचिस्तान में हुई घटना भी इसमें शामिल थी। भारत ने इससे नाराजगी जाहिर करते हुए स्टेटमेंट पर भी साइन नहीं किए।
अब आतंकवाद के एपिसेंटर सेफ नहीं
बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले का पैटर्न भारत में लश्कर-ए-तैयबा के पिछले आतंकी हमलों के जैसा ही था। सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों को रोकने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था। कुछ देश सीमा पर आतंकवाद को ही अपनी नीति मानते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं फिर इसे इंकार करते हैं। ऐसे डबल स्टैंडर्ड के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्हें भी समझना होगा कि अब आतंकवाद के एपिसेंटर भी सेफ नहीं है। आगे रक्षा मंत्री ने कहा कि एससीईओ को देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए। इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद थे। दूसरी ओर राजनाथ सिंह ने बैठक में पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ से भी मुलाकात भी नहीं की।
आतंकवाद और शांति एक साथ नहीं चलेंगे
रक्षा मंत्री ने कहा कि कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियां बने हुए हैं। उन्होंने दोहराया कि शांति और आतंकवाद साथ-साथ नहीं रह सकते और इसके लिए निर्णायक कार्रवाई जरुरी है। उन्होंने सभी SCO देशों से आह्वान किया है कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा। राजनाथ सिंह ने साफ कहा है कि जो देश आतंकवादियों को पनाह देते हैं और सीमा पर आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। उनके दोहरे रवैये को अब और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि एससीओ को ऐसे देशों की खुलकर आलोचन करनी चाहिए और आतकंवाद के खिलाफ एक सख्त रुख अपनाना चाहिए। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कोई भी देश कितना भी बड़ा क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता। सभी को मिलकर संवाद और सहयोग से ही काम करना पड़ेगा। यह भारत की पुरानी है सर्वे जना सुखिनो भवन्तु को भी दर्शाता है जिसका अर्थ है सबका कल्याण हो।
चीन और रुस के साथ होगी द्विपक्षीय बैठक
राजनाथ सिंह की इस यात्रा के दौरान उनके चीनी और रुसी रक्षा मंत्रियों के साथ अलग से द्विपक्षीय बैठक होने की भी संभावना जताई जा रही है। यह यात्रा इसलिए भी जरुरी है क्योंकि मई 2020 में भारत-चीन सीमा विवाद के बाद सीनियर भारतीय मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है। राजनाथ सिंह के किंगदाओ पहुंचने पर भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया है। चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून ने व्यक्तिगत तौर पर राजनाथ सिंह का स्वागत भी किया है और बैठक से पहले सभी देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ ग्रूप फोटो भी ले गई ।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर कही ये बात
चीन पहुंचने से पहले राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा था कि - 'वे वैश्विक शांति और सुरक्षा को लेकर भारत के दृष्टिकोण को शेयर करने और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर कदम उठाने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं'।