सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद भी नहीं हो रहा एक्शन, जो पाल्यूशन फैला रहे हैं-एमपी सिंह
जालंधर। गानों और फिल्मों में बढ़ रही अश्लिलता और हथियारों को प्रमोट करना आम बात हो गई है। जबकि ऐसे गानें बनाने और सीन करने वालों पर सख्त कारवाई करने के आदेश हैं। लेकिन उसके बावजूद न तो पुलिस प्रशासन ध्यान देता है और न ही माननीय सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का पालन सख्ती से हो रहा है। प्रैस क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कैमिस्ट्री गुरु एमपी सिंह ने ANIMAL फिल्म के गाने और फिल्म में आपत्तिजनक सीन पर रोष जाहिर किया है और फिल्म से ऐसे सीन को हटाने की मांग सैंसर बोर्ड के आगे रखी है। एमपी सिंह का कहना है कि ANIMAL फिल्म परिवार के साथ बैठकर देखने वाली नहीं है। ऐसी फिल्मों से बच्चों पर गलत असल पड़ताी है और खास तौर पर हथियारों को प्रमोट करने वाले गानों से युवा गलत रास्ते पर जा रहे हैं। वहीं माननीय सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश हैं कि ध्वनि प्रदूषण करने वालों पर सख्त कारवाई होनी चाहिए। आदेशों के बावजूद भी पुलिस प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है।
उंची आवाज मे डीजे और बुलेट से पटाखे बजाने पर लगाई गई है रोक
एमपी सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से उंची आवाज में डीजे चलाने और बुलेट से पटाखे बजाने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है। जिसके लिए उन्होंने काफी प्रयास भी किए और लगातार संघर्ष भी जारी है। 6 सालों से लगातार वह ध्वनि प्रदूषण फैलाने वालों पर रोक लगाने के लिए काम कर रहे हैं। शहर के इलावा गांवों में इस समय ध्वनि प्रदूषण काफी ज्यादा होता जा रहा है। आदमपुर और नकोदर में कई ऐसे समाजसेवक हैं और जत्थेंबंदिया हैं, जो उनके साथ मिलकर काम कर रही हैं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऑर्डर होने के बावजूद भी पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बनकर बैठा हुआ है।
वहीं एमपी सिंह ने कहा कि एनीमल जैसी फिल्में बच्चों को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं और कई परिवार तो ऐसे हैं। जो ऐसी फिल्में देखने के लिए बच्चों को अकेले भेज देते हैं। पूरी फिल्म महिलाओं के खिलाफ है। ऐसे सीन हैं जो परिवार के साथ बैठकर नहीं देखे जा सकते हैं। नशा, गन और मारपीट के सीन बैन होने चाहिए।