ख़बरिस्तान नेटवर्क : केंद्र सरकार ने पंजाब-हरियाणा के बीच चल रहे सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर के जल बंटवारे विवाद को खत्म करने के लिए दोनों राज्यों को सीएम को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को मीटिंग के लिए बुलाया है।
10 जुलाई को हो सकती है मीटिंग
सूत्रों के मुताबिक केंद्र और दोनों राज्यों के सीएम के बीच यह मीटिंग 10 जुलाई को हो सकती है। केंद्र जल्द से जल्द SYL विवाद को सुलझाना चाहता है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र को दोनों राज्यों के बीच मध्यस्थता कराने के लिए कह चुका है।
जानें क्या है SYL विवाद
SYL नहर का पूरा विवाद पंजाब ने हरियाणा से 18 नवंबर,1976 को 1 करोड़ रुपए लिए और 1977 को SYL निर्माण मंजूरी दी। बाद में पंजाब ने SYL नहर के निर्माण को लेकर आनाकानी करनी शुरू कर दी।1979 में हरियाणा ने SYL के निर्माण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
पंजाब ने 11 जुलाई, 1979 को पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।1980 में पंजाब सरकार बर्खास्त होने के बाद 1981 में PM इंदिरा गांधी की मौजूदगी में दोनों राज्यों का समझौता हुआ।1982 में इंदिरा गांधी ने पटियाला के गांव कपूरी में टक लगाकर नहर का निर्माण शुरू करवाया।
इसके विरोध में शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने SYL की खुदाई के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया।1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता हुआ, जिसमें पंजाब नहर के निर्माण पर सहमति जताई गई।1990 में 3 जुलाई SYL के निर्माण से जुड़े दो इंजीनियरों की भी हत्या कर दी गई।
हरियाणा के तत्कालीन CM हुक्म सिंह ने केंद्र सरकार से मांग की कि निर्माण का काम BSF को सौंपा जाए।1996 में सुप्रीम कोर्ट ने 2002 को पंजाब को एक वर्ष में SYL नहर बनवाने के निर्देश दिए। 2015 में हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के लिए संविधान पीठ बनाने का अनुरोध किया। 2016 में गठित 5 सदस्यों की संविधान पीठ ने पहली सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को बुलाया।
8 मार्च को दूसरी सुनवाई में पंजाब में 121 किमी लंबी नहर को पाटने का काम शुरू हो गया। 19 मार्च तक सुप्रीम कोर्ट के यथस्थिति के आदेश देते हुए नहर पाटने का काम रुकवा दिया। 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्य नहर का निर्माण नहीं करते हैं तो कोर्ट खुद नहर का निर्माण कराएगा।