बांग्लादेश में छात्रों की तरफ से नौकरी में आरक्षण को लेकर चल रही हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट के 30 प्रतिशत कोटे के आरक्षण को गैरकानूनी बताया है। अभी 5 प्रतिशत आरक्षण बना रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को सरकारी नौकरियों में अधिकांश आरक्षण को समाप्त कर दिया, जिसके कारण छात्रों के ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था और कम से कम 114 लोग मारे गए।
7% आरक्षण मिलेगा
ये फैसला सुप्रीम कोर्ट ने 93% सरकारी नौकरियों को योग्यता के आधार पर आवंटित करने के लिए दिया है। जबकि 7% 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले सैनानियों के परिवार के लिए छोड़ दिया है। अभी तक ऐसे लोगों के लिए 30% ऐसी नौकरियां आरक्षित थी।
क्यों भड़की हिंसा?
हिंसा भड़कने का मुख्य कारण है- नौकरी में आरक्षण। छात्र आरक्षण पर रोक लगाना चाहते हैं। दरअसल, बांग्लादेश सरकार ने पब्लिक सेक्टर की 30 प्रतिशत नौकरियां उन लोगों के लिए आरक्षित (Reserved) किया है, जिनके परिवार ने 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि सरकार की यह व्यवस्था भेदभाव बढ़ाती है। इसी के खिलाफ लोगों का गुस्सा फुट पड़ा है।
इतना मिलता है आरक्षण
रिपोर्ट के मुताबिक, स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30%, पिछड़े जिलों के लिए 40%, महिलाओं के लिए 10% आरक्षण दिया गया। सामान्य छात्रों के लिए सिर्फ 20% सीटें रखी गईं। 1976 में पिछड़े जिलों के लिए आरक्षण को 20% कर दिया गया। इससे सामान्य छात्रों को 40% सीटें हो गईं। 1985 में पिछड़े जिलों का आरक्षण और घटा कर 10% कर दिया गया और अल्पसंख्यकों के लिए 5% कोटा जोड़ा गया। इससे सामान्य छात्रों के लिए 45% सीटें हो गईं।
शुरू में स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे-बेटियों को ही आरक्षण मिलता था लेकिन 2009 से इसमें पोते-पोतियों को भी जोड़ दिया गया। 2012 विकलांग छात्रों के लिए भी 1% कोटा जोड़ दिया गया। इससे कुल कोटा 56% हो गया।
6 साल पहले खत्म कर दिया था कोटा सिस्टम
साल 2018 में 4 महीने तक छात्रों के प्रदर्शन के बाद हसीना सरकार ने कोटा सिस्टम खत्म कर दिया था। लेकिन बीते महीने 5 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर से आरक्षण देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि 2018 से पहले जैसे आरक्षण मिलता था, उसे फिर से उसी तरह लागू किया जाए।