Army Chief says Security cannot depend on others, will not hesitate to fight a war : भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि युद्ध को रोकने के लिए देश के लिए सैन्य ताकत और क्षमताएं जरूरी हैं। सेना प्रमुख जनरल ने कहा जहां तक राष्ट्रीय हितों का सवाल है तो देश युद्ध लड़ने से बिल्कुल भी संकोच नहीं करेगा। देश की राजधानी नई दिल्ली में मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र का समग्र उत्थान तभी हो सकता है जब उसकी राष्ट्रीय शक्ति निरंतर आगे बढ़ती रहती है। सेना प्रमुख ने एआईएमए राष्ट्रीय नेतृत्व संगोष्ठी में भाग लिया और सैन्य शक्ति के आधुनिकीकरण पर अपनी बात रखी। इसी के साथ उन्होंने आत्मनिर्भरता के माध्यम से सैन्य शक्ति की क्षमताओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कारकों को भी रेखांकित किया।
युद्ध लड़ने से संकोच नहीं करेगा भारत
ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के नौवें नेशनल लीडरशिप कॉन्क्लेव में डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता की अहमियत पर जोर देते हुए जनरल मनोज पांडे बोले कि क्षमता के विकास की बात करें तो हम अहम टेक्नोलॉजी इंपोर्ट कर रहे हैं। मनोजं पांडे ने कहा हाल के शक्ति प्रदर्शन ने दिखाया है कि जहां राष्ट्रीय हितों का सवाल है, देश युद्ध लड़ने से संकोच नहीं करेगा। इस कार्यक्रम के दौरान कहा कि इन घटनाक्रमों ने सैन्य शक्ति के महत्व की फिर से पुष्टि की।
इंडियन आर्मी का है आगे का विजन
सेना प्रमुख ने कहा कि आर्थिक शक्ति राष्ट्र के विकास का स्रोत है। वहीं सैन्य ताकत इसे परिणामों को प्रभावित करने की क्षमता प्रदान करती है जो देश के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा, युद्ध को रोकने साथ साथ संघर्ष के पूरे परिदृश्य में आवश्यकता पड़ने पर खतरों का मजबूती से जवाब देने और युद्ध जीतने के लिए सैन्य ताकत और क्षमताएं जरूरी हैं। भारतीय सेना के विजन को लेकर उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए सेना को आत्मनिर्भर सेना में तब्दील करना है।
इतनी बड़ी है स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री
आर्मी चीफ ने सेना के विजन के बारे में भी बताया। वह बोले- आर्मी का आगे का विजन खुद को आधुनिक, फुर्तीली, अनुकूलक, टेक्नोलॉजी से चलने वाली और आत्म निर्भर बनाना है। हमारा यह भी मकसद है कि हम राष्ट्र हितों की रक्षा करते हुए अलग-अलग किस्म के माहौल में पूरी क्षमता के साथ युद्ध जीत सकें। मौजूदा समय में 340 स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री हैं, जो कि 2025 तक 230 कॉन्ट्रैक्ट्स के पूरा होने की दिशा में काम कर रही हैं और इनमें 2.5 लाख करोड़ का खर्च शामिल है।