कनाडा के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी भारतीय स्टूडेंट्स को बड़ा झटका दिया है। सरकार ने अब यहां स्टूडेंट्स की बढ़ती संख्या को कंट्रोल करने के लिए तैयारी कर ली है। ऑस्ट्रेलिया ने मंगलवार को कहा कि वह 2025 तक इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के नामांकन को 270,000 तक सीमित कर देगा क्योंकि रिकॉर्ड स्तर पर हो रहे माइग्रेशन ने संपत्ति की कीमतों को बढ़ा दिया है।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि यह फैसला क्यों लिया गया
यह निर्णय पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में विदेशी स्टूडेंट्स और श्रमिकों के लिए COVID-19 रियायतों को खत्म करने के कदमों के बाद लिया गया है, जिससे व्यवसायों को स्थानीय स्तर पर भर्ती करने में मदद मिली, जबकि विदेशी श्रमिकों को कठिन सीमाओं के पार जाने के लिए मजबूर नहीं किया गया।
यूनिवर्सटीज में विदेशी स्टूडेंट्स को कम करने की योजना
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने कहा कि आज हमारे यूनिवर्सिटीज में कोरोना से पहले की तुलना में लगभग 10% ज्यादा इंटरनेशनल स्टूडेंट्स हैं और निजी व्यावसायिक (Private Vocational) और प्रशिक्षण प्रदाताओं (Training Providers) में लगभग 50% ज्यादा हैं, इसलिए इस पर नकेल कसने की योजना बनाई गई है।
इससे पहले, सरकार ने प्रवासियों के बढ़ने पर रोक लगाने के लिए पिछले महीने विदेशी स्टूडेंट्स के वीजा फीस को दोगुना से ज्यादा कर दिया था।
नए नियम से सीमा कम हो जाएगी
शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने कहा कि सीमा समझ में आएगी। 2025 में, पब्लिक यूनिवर्सिटीज में लगभग 145,000 नए स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल इंस्टूट्यूट्स में लगभग 95,000 नए लोग होंगे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, शुरुआती संख्या कोरोना-पूर्व स्तर से लगभग 7,000 कम और पिछले साल की तुलना में लगभग 53,000 कम होगी।
विदेशी स्टूडेंटस की संख्या कम करने के लिए फीस बढ़ाई
एक बयान में शिक्षा मंत्री ने कहा कि यूनिवर्सिटीज इनरोल्मेंट को घटाकर 145,000 या 2023 के स्तर पर लाया जाएगा। 2025 में 30,000 नए विदेशी स्टूडेंट्स दाखिला ले सकेंगे, जबकि Private Vocational और Training Providers की संख्या सिर्फ 95,000 तक सीमित रहेगी। इसने 2022-2023 में इमिग्रेशन को 528,000 से घटाकर 2024-25 तक 260,000 करने के लिए जुलाई में वीज़ा फीस दोगुना कर दिया।
इससे पहले कनाडा भी छात्रों को झटका दे चुका है
इससे पहले कनाडा ने भी भारतीय स्टूडेंट्स को बड़ा झटका दिया था। वहां की ट्रूडो सरकार ने वीजा नियमों में कुछ बदलाव किए हैं, जो 21 जून से लागू हो गए हैं। 21 जून 2024 के बाद विदेशी नागरिक पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे। इस प्रक्रिया को रोक दिया गया है।
कनाडाई सरकार ने कहा कि विदेशी नागरिक अब सीमा पर पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं। यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू होगा, जिसका सैकड़ों भारतीय छात्रों पर व्यापक असर पड़ेगा।
ट्रूडो ने एक्स पर दी जानकारी
जस्टिन ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि लेबर मार्किट बदल गई है। कनाडा कम सैलरी वाले अस्थाई विदेशी कर्मचारियों की गिनती घटाने जा रहा है। अब कनेडियन कारोबारियों के लिए स्थानीय कर्मचारियों और नौजवानों में निवेश करने का समय आ गया है।
ट्रूडो ने आगे लिखा कि देश के इमीग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने हाल ही में कहा है कि इमीग्रेशन नियमों को कनाडा के लिए अनुकूल बनाया जाना चाहिए। क्योंकि देश में लगातार नौकरियां कम होती जा रही है। हम इसके लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं।
एक साल का मिलेगा वर्क परमिट
नए नियमों के तहत कम सैलरी वाली नौकरियों के लिए परमिट दो साल से घटाकर सिर्फ एक साल कर दिया गया है। इसके अलावा कृषि, स्वास्थ्य सेवा और निर्माण जगहों को छूट दी गई है। विदेशी कर्मचारियों को अब 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी ही हिस्सेदारी दी जाएगी।