खबरिस्तान नेटवर्क: डिजिटल बैंकिंग को सुरक्षित बनाने की दिशा में भारतीय रिजर्व बैंक ने एक अहम कदम उठाया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने आधार आधारित भुगतान प्रणाली से जुड़ी सेवाओं पर सख्त निगरानी के निर्देश जारी कर दिए हैं। अब अंगूठा लगाकर बैंक से पैसे निकालने वाली प्रक्रिया में कड़े नियम लागू होंगे। आरबीआई ने बैंको से कह हा है कि AEPS सेवाएं देने वाले ऑपरेटरों को सिस्टम में जोड़ने से पहले उनकी अच्छी तरह से जांच-पड़ताल कर ली जाए ताकि यदि फ्रॉड और पहचान की चोरी जैसी घटनाओं पर रोक लगाई जा पाए।
पहले करने होगी बैंक के ATO से सख्त जांच
आरबीआई के अनुसार, अब कोई भी बैंक यदि AEPS सेवा के लिए किसी टचपॉइंट ऑपरेटर (ATO) को अपने नेटवर्क में जोड़ना चाहता है तो उससे पहले उसको उस ऑपरेटर की केवाईसी वेरिफिकेशन और बैकग्राउंड की चेकिंग करवानी पड़ेगी। यह प्रक्रिया वैसे ही होगी जैसे की किसी नए ग्राहक को जोड़ते समय की जाती है हालांकि यदि ATO पहले से बैंक का बिजनेस सब-एजेंट रह चुका है और उसकी जांच पहले ही हो गई है, तो उसको दोबारा जांचने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह नियम उन बैंकों के लिए एक सुरक्षा कवच के जैसा होगा जो ग्रामीण क्षेत्रों में AEPS सेवाओं का तेजी से विस्तार कर रहे हैं।
तीन महीने की एक्टिवता पर दोबारा केवाइसी जरुरी है
नए नियमों के अंतर्गत यदि कोई ATO लगातार ही तीन महीने तक एक्टिव नहीं रहेगा। जैसे किसी तरह का लेन-देन नहीं करता तो उसे फिर से AEPS टचपॉइंट के तौर पर काम शुरू करने से पहले दोबारा KYC प्रोसेस से गुजरना पड़ेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी स्लीपिंग एजेंट सिस्टम में घुसपैठ कर फर्जी ट्रांजैक्शन नहीं कर पाया।
फ्रॉड के कारण RBI हुआ चिंतित
RBI ने अपनी अधिसूचना में यह बताया है कि हाल के महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। जहां ग्राहकों की पहचान चुरा कर या उनके आधार डेटा का इस्तेमाल करके AEPS के जरिए धोखाधड़ी की गई। इन घटनाओं ने सिस्टम की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए अब आरबीआई AEPS सिस्टम की मजबूती पर जोर दे रहा है ताकि ग्राहकों का विश्वास बना रहे और डिजिटल बैंकिंग एक सुरक्षित जरिया बना रहे।
जारी हुए निर्देश
यह सख्त दिशानिर्देश पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स एक्ट 2007 की धारा 10 (2) और 18 के अंतर्गत जारी हुए हैं। आरबीआई ने यह भी साफ किया गया है कि AEPS सिस्टम में शामिल ऑपरेटर्स के नियमों और कार्यप्रणालियों की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी ताकि तकनीकी बदलावों के साथ सुरक्षा को भी बराबरी से मजबूत किया जा सके।