भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति( Monetary Policy) समिति मुंबई में मंगलवार को शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक के बाद 8 फरवरी को रेपो दरों का ऐलान किया। RBI MPC ने फरवरी 2024 तक लगातार छठी बार रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखा है, बेंचमार्क ब्याज़ दर को पिछली बार फरवरी 2023 में बढ़ाया गया था, उस समय इसे 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्तमान 6.5 प्रतिशत कर दिया गया था(इससे पहले, इसने मई 2022 से फरवरी 2023 तक रेपो दर में 250 आधार अंकों(Base Digit) की वृद्धि की गई थी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अस्थिर वैश्विक स्थितियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने आउटपरफॉर्म किया है। महंगाई भी नीचे आती दिख रही है। उन्होंने कहा कि इस बार मीटिंग में विस्तार से चर्चा की गई है और कमेटी का फैसला है कि रेपो रेट को अभी 6.5 प्रतिशत पर ही स्थिर रखा जाए। छह में से पांच सदस्यों ने इस पक्ष में फैसला दिया।
मंहगाई दर को 4 प्रतिशत नीचे लाया जाए
गवर्नर ने बताया कि MPC अकोमेडिटिव रुख वापस लेने के पक्ष में है। ग्लोबल इकोनॉमी में रिकवरी के संकेत दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा, खाद्य कीमतों में अनिश्चितता का महंगाई दर पर असर है। MPC का लक्ष्य है कि महंगाई दर को 4 प्रतिशत नीचे लाया जाए। साथ ही 2024 में महंगाई दर के और नीचे आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में रियल जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी पर रहने का अनुमान है।
RBI गवर्नर के एलान की प्रमुख बातें
- 2024 में महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद,
- खाद्य कीमतों में कमी का महंगाई पर असर
- एमपीसी का महंगाई दर 5 प्रतिशत लक्ष्य
- FY25 में भी विकास की दर बरकरार रहेगी
- ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है
- रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है
- FY25 के लिए महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रहने का एलान
- FY24 में महंगाई दर का अनुमान 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट (Repo Rate) वह दर है जिस पर RBI - सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया - अन्य कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है। जबकि रिवर्स रेपो दर ऐसी दर है जिस पर कमर्शियल बैंक RBI को अपने पास बचे अधिशेष धन को जमा करते हैं और ब्याज दर अर्जित करते हैं।
रेपो रेट बढ़ने पर क्या होता है?
रेपो रेट बढ़ने से बढ़ जाती है लोन की EMI, रेपो रेट के कम होने से लोन की EMI घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से ईएमआई में भी इजाफा देखने को मिलता है। जब देश में महंगाई आरबीआई के तय दायरे से बाहर जाती है, तो फिर इसे कम करने के उद्देश्य से रेपो रेट में इजाफे का फैसला लिया जाता है