When will the next Kumbh Mela be held after Prayagraj Know how place and time are decided : महाकुंभ मेला भारत में सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। साल 2025 में महाकुंभ मेला प्रयागराज में शुरू हो चुका है। इसमें देश विदेश से करोड़ों लोग शामिल होते हैं। इसका आयोजन विशेष रूप से चार प्रमुख स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में होता है। प्रयागराज के बाद अगला कुंभ नासिक में गोदावरी नदी के तट पर लगेगा। यह कुंभ मेला साल 2027 में लगेगा। यहां पिछली बार 2015 में जुलाई से सितंबर तक कुंभ मेला लगा था।
उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक में
बता दें कि कुंभ मेला हर तीन साल में एक एक बार उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक में आयोजित होता है। अर्ध कुंभ मेला 6 साल में एक बार हरिद्वार और प्रयागराज के तट पर लगता है। वहीं पूर्ण कुंभ मेला 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है, जो प्रयागराज में होता है। 12 कुंभ मेला पूर्ण होने पर एक महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। इससे पहले महाकुंभ प्रयाराज में साल 2013 में आयोजित हुआ था।
कैसे तय होता है, कहां लगेगा कुंभ मेला
जब बृहस्पति ग्रह, वृषभ राशि में हों और इस दौरान सूर्य देव मकर राशि में आते हैं। तब कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में होता है। ऐसे ही जब गुरु बृहस्पति, कुंभ राशि में हों और उस दौरान सूर्य देव मेष राशि में गोचर करते हैं। तब कुंभ हरिद्वार में आयोजित किया जाता है। इसके साथ जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में विराजमान हो तब महाकुंभ नासिक में आयोजित किया जाता है। वहीं, ग्रह बृहस्पति सिंह राशि में हों और सूर्य मेष राशि में हों, तो कुंभ का मेला उज्जैन में लगता है।
जानिए नासिक कुंभ मेले का इतिहास
नासिक कुंभ मेले का इतिहास सदियों पुराना है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह आयोजन उस समय की याद दिलाता है जब देवता और राक्षस अमरता के अमृत के घड़े (कुंभ) के लिए लड़ रहे थे। लड़ाई के दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों- नासिक, प्रयागराज, हरिद्वार और उज्जैन पर गिरीं। ऐसा माना जाता है कि ये चार स्थान हैं जहां कुंभ मेला लगता है।
गोदावरी नदी तट पर नासिक कुंभ मेला
नासिक कुंभ मेला गोदावरी नदी के तट पर लगता है। इसे भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। नासिक कुंभ मेले का पहला रिकॉर्ड 17वीं शताब्दी में दर्ज किया गया था और तब से यह लोकप्रिय हो रहा है। हर 12 साल में लाखों लोग इस आयोजन में शामिल होते हैं। कहा जाता है कि इसमें एक बार स्नान करने से भक्तों के सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।