नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग कर रहे बांग्लादेश के छात्रों का आंदोलन हिंसक हो गया है। हिंसा से हालात और भी बेकाबू हो गए हैं। हालात इतने खराब हैं कि पुलिस के साथ झड़प में करीब 39 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है। साथ ही 2500 से ज्यादा प्रदर्शनकारी जख्मी हैं। लाठी, डंडे और पत्थर लेकर सड़कों पर घूम रहे प्रदर्शनकारी बसों और निजी वाहनों को आग के हवाले कर रहे हैं।
वहीं प्रदर्शनकारियों ने ढाका स्थित सरकारी टीवी मुख्यालय को भी आग लगा दी और मुख्यालय में खड़ी कई गाड़ियों को भी तबाह कर दिया।
मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद
बांग्लादेश में इस समय बस-ट्रेन और मेट्रो सेवा ठप हो गई है। हिंसा को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार ने मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया है। सेना को मोर्चे पर उतार दिया गया है। स्कूल, कॉलेज के साथ-साथ मदरसों को अनिश्चितकाल तक के लिए बंद कर दिया गया है।
जाने हिंसा भड़कने का कारण
हिंसा भड़कने का मुख्य कारण है- नौकरी में आरक्षण। छात्र आरक्षण पर रोक लगाना चाहते हैं। दरअसल, बांग्लादेश सरकार ने पब्लिक सेक्टर की 30 प्रतिशत नौकरियां उन लोगों के लिए आरक्षित (Reserved) किया है, जिनके परिवार ने 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि सरकार की यह व्यवस्था भेदभाव बढ़ाती है। इसी के खिलाफ लोगों का गुस्सा फुट पड़ा है।
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने की शांति की अपील
सुप्रीम कोर्ट 7 अगस्त को मामले में सुनवाई करेगी। वहीं हिंसा बढ़ती देख प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए अपील की है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से वादा किया कि उनकी समस्या को सुलझाने के लिए वे काम करेंगी। उन्होंने हिंसा की न्यायिक जांच करने और आरोपियों को सजा दिलाने का भी वादा किया है।
भारतीय हाई कमिशन ने दी सलाह
एक दिन पहले भारतीय हाई कमिशन ने एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति के चलते बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोग और छात्र यात्रा करने से बचें। वे अपने परिसर से बाहर न निकलें। बांग्लादेश में रह रहे लोगों के लिए भारतीय हाई कमिशन ने इमरजेंसी नंबर जारी किए हैं।