तिरुपति बालाजी मंदिर में हर रोज हजारों लोग दर्शन करने के लिए आते है। जिसके बाद लौटते समय श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में लड्डू दिया जाता है। वहीं अब इन लड्डू के अंदर जानवरों की चर्बी होने की बात आमने आ रही है। मंदिर के लड्डू के पवित्रता और शुद्धता को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी ने 2 दिन के अंदर दो दावे किए और नायडू सरकार ने नया आरोप लगाते हुए कहा कि प्रसाद में जानवरों की चर्बी वाला घी और फिश ऑयल मिलाया गया था।
9 जुलाई को मंदिर बोर्ड ने घी के सैंपल लैब में भेजे
दरअसल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को दावा किया कि पिछली सरकार में तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसाद में घी की जगह जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा था। इसी साल जून में जगन मोहन रेड्डी की पार्टी आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव हारी और नायूड ने एनडीए की सरकार बनाई। जिसके बाद 9 जुलाई को मंदिर बोर्ड ने घी के सैंपल गुजरात स्थित पशुधन लैब (NDDB CALF Ltd.) भेजे और 16 जुलाई को लैब रिपोर्ट आई। इसमें एक फर्म के घी में मिलावट पाई गई। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की फूड लैब काल्फ (CALF) ने बताया कि जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल से तैयार घी में प्रसादम के लड्डुओं बनाए जा रहे हैं।
अब 18 सितंबर को आई रिपोर्ट
जिसके बाद 22 जुलाई को मंदिर ट्रस्ट ने बैठक की और फिर से 23 जुलाई को घी के सैंपल लिए गए और जांच के लिए लैब भेजे गए। 18 सितंबर को इसकी रिपोर्ट सामने आई। जिसके बाद सीएम नायडू ने कहा, पिछली जगन मोहन रेड्डी सरकार ने हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है। मंदिर की पवित्रता को ठेस पहुंचाया है और लोगों की आस्था से भी बहुत बड़ा खिलवाड़ हुआ है। मेरी सरकार आने के बाद इस पर रोक लगाई गई है। यह जो अभी रिपोर्ट सामने आई है, वो जुलाई की है।
जांच में हुआ खुलासा
जांच में पता चला है कि इन लड्डुओं में जिस घी का इस्तेमाल हो रहा था उसमें फिश ऑयल, एनिमल टैलो और लार्ड की मात्रा पाई गई । एनिमल टैलो का मतलब पशु में मौजूद फैट से होता है। लार्ड का मतलब जानवरों की चर्बी से होता है। इसी घी में फिश ऑयल की मात्रा भी पाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रसादम लड्डू में सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून, रेपसीड, अलसी, गेहूं के बीज, मक्का के बीज, कपास के बीज, मछली का तेल, नारियल और पाम कर्नेल वसा, पाम तेल और बीफ टेलो (गौमांस की चर्बी), लार्ड शामिल है।
50 साल से यह कंपनी सप्लाई कर रहा था घी
बीते 50 साल से कर्नाटक कॉपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) मंदिर कमेटी को शुद्ध देसी घी सप्लाई कर रहा था। लेकिन जुलाई 2023 में कंपनी ने कम रेट में सप्लाई देने से इनकार कर दिया, उसके बाद तत्कालीन जगन मोहन रेड्डी सरकार ने 5 फर्म को घी सप्लाई की जिम्मेदारी दे दी। इसी साल जुलाई में सैंपल में गड़बड़ी पाए जाने के बाद नायडू सरकार अलर्ट हुई और 29 अगस्त को फिर KMF को सप्लाई का काम सौंप दिया।
ब्राह्मण बनाते हैं 3.5 लाख लड्डू
तिरुपति मंदिर दुनिया के सबसे लोकप्रिय और अमीर धर्मस्थलों में से है। यहां हर दिन करीब 70 हजार श्रद्धालु भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करते हैं। इसका प्रशासन तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (TTD) संभालता है। मंदिर परिसर में बनी 300 साल पुरानी किचन ‘पोटू’ में शुद्ध देसी घी के रोज 3.50 लाख लड्डू बनते हैं। यह मंदिर का मुख्य प्रसाद है, जिसे करीब 200 ब्राह्मण बनाते हैं। लड्डू में शुद्ध बेसन, बूंदी, चीनी, काजू और घी होता है।
सरकार ने मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी
सरकार ने कहा, जिस कंपनी से घी लिया जा रहा था, उससे करार खत्म कर दिया है साथ ही उसे ब्लैक लिस्ट किए जाने की तैयारी है। मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी गई है। संबंधित कंपनी को सालभर पहले ही सप्लाई का टेंडर मिला था। फिलहाल, अब मंदिर बोर्ड ने घी की गुणवत्ता और निगरानी के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है।
लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है यह सब
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रसाद के लड्डू बनाने के लिए 400-500 किलो देसी घी, 750 किलो काजू, 500 किलो किशमिश, 200 किलो इलायची और साथ में बेसन, चीनी आदि इस्तेमाल किए जाते हैं। वहीं रिपोर्ट दावा करती है कि इस रेसिपी में जो देसी घी इस्तेमाल किया जा रहा था, उसमें 3 जानवरों की चर्बी की मिलावट थी।