वेब खबरिस्तान, नई दिल्ली : अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत में बदलाव पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ खास तौर पर अध्ययन कर रहे हैं। इसमें हमारे शरीर की बहुत सारी प्रक्रियाओं के साथ ही दिमाग पर असर होता पाया गया है. अंतरिक्ष यात्रा के दौरान एस्ट्रोनॉट्स की सेहत पर गहरा असर होता है। नए अध्ययन में पता चला है कि अंतरिक्ष में रहने से इलेक्टाइल डिसफंक्शन जिसे आमतौर पर ईडी की समस्या कहा जाता है, होती है। एफएएसईबी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि ईडी की यह समस्या अंतरिक्ष यात्रियों में अंतरिक्ष यात्रा के समय ही नहीं बल्कि उसके बाद पृथ्वी पर लौटने के बाद भी लंबे समय तक रहती है। लंबे समय तक गैलेक्टिक कॉस्मिक विकिरणों के उच्च स्तर पर सामना करने से उन्हें भारहीनता जैसी कई समस्याएं होती है जिससे उनके यौन स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
स्थायी समस्या नहीं, सुधार संभव है
नासा के द्वारा अनुदानित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने चेताया है कि गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण में नए सेहत के जोखिम का सामना करना पड़ सकता है. डॉ जस्टिनला फेवर ने बताया कि जहां इस सब के नकारात्मक प्रभाव लंबे समय तक रहते हैं. ऊतकों में नॉइट्रोजन ऑक्साइड और रेडॉक्स के रास्तों को लक्षित करने से क्रियात्मक सुधार किया जा सकता है.
नजदीकी निगरानी रखना जरूरी
इससे साबित होता है कि इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. डॉ फेरव फ्लोरीडा स्टेट यूनिवर्सिटी में न्यूरोवस्क्यूलर डिसफंक्शन के विशेषज्ञ और इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से आने वाले समय में और भी ज्यादा अंतरिक्ष यात्राएं नियोजित की जा रही हैं, अंतरिक्ष यात्रियों की यौन सेहत पर नजदीक से निगरानी रखना बहुत जरूरी है.
हो सकता है इसका उपचार
डॉ फेवर का कहना है कि वर्तमान अंतरिक्ष यानों में जीसीआर विकरणों को लेकर पर्याप्त सुरक्षा नहीं है. इसलिए गहरी अंतरिक्ष यात्राओं के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को जीसीआर से बचाने का कोई प्रभावी तरीका नहीं है. जीसीआर का सामना करने से आने वाली समस्याओं का इलाज करने के बाद उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है.
और अधिक शोध की जरूरत
फिर भी शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रभावी नतीजों के लिए और अधिक शोध की जरूरत है जिससे वे उपचार पद्धतियों की भी अच्छे से पुष्टि कर सकें. अध्ययन में केवल लंबे समय से तक प्रभावों में सुधार की पड़ताल की गई थी. थोड़ी देर के लिए ही विकिरणों का सामना करने से बहुत अधिक और गहरे असर देखने को मिल सकते हैं.
उपचार से निकलता हल
शोधकर्ताओं ने जहां एक तरफ यह कहा कि इन प्रभावों से बचा जा सकता है, उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि इस विषय पर विस्तार से अध्ययन करने की बहुत अधिक जरूरत है. और ऐसी समस्याएं, खास तौर से ईडी को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि जीसीआर के जरिए होने वाली ईडी समस्या से विभिन्न एंटीऑक्सीडेंट के उपचार से निपटा जा सकता है!
स्थायी बेस बनाने पर काम
अंतरिक्ष में रहने से एस्ट्रोनॉट की सेहत कैसे बदलती है यह एक बहुत ही अहम विषय है क्योंकि अब दुनिया भर की स्पेस एजेंसी चंद्रमा और यहां तक कि मंगल ग्रह पर जाने जैसे लंबे समय के मानव अभियानों की भी तैयारी कर रहीं है. ऐसे में लंबे अंतरिक्ष अभियानों के लिए चंद्रमा पर स्थायी बेस बनाने पर भी काम चल रहा है!