Ramanand Sagar journey from truck cleaner to becoming a famous director : छोटे शहरों और गांवों के चौराहों पर इसकी झलक देखने को मिलती थी। तभी रामानंद सागर के रामायण धारावाहिक की प्रस्तुति शुरू होती और हर व्यक्ति उस धारावाहिक में ऐसे डूब जाता मानो उनके सामने भगवान श्री राम प्रकट हो गए हों। आज भी इस रामायण धारावाहिक को देखने वाले करोड़ों दर्शक हैं। इसमें कोई शक नहीं कि रामानंद सागर ने एक बेहतरीन धारावाहिक बनाया था, जो आज भी लोगों के दिलों पर राज करता है।
रामानंद सागर की कहानी
आज यानी 29 दिसंबर को भारत के बेहतरीन निर्देशक, लेखक, निर्माता और पटकथा लेखक रामानंद सागर का जन्मदिन है। इस खास मौके पर देश के कई हिस्सों में लोग उन्हें याद कर रहे हैं। आपको बता दें कि 12 दिसंबर 2005 को उनका निधन हो गया था। रामानंद सागर का जन्म 29 दिसंबर 1917 को पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था।
चंद्रमौली था असली नाम
रामानंद का असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था। यह नाम उन्हें उनकी नानी ने दिया था। साल 1947 के बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया, लेकिन इस दौरान उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई। परिवार का सहारा बनने के लिए उन्होंने नौकरी करना शुरू कर दिया। कई लोगों का दावा है कि उन्होंने ट्रक क्लीनर और चपरासी का काम किया।
परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया
कुछ सालों बाद उनका परिवार जीविकोपार्जन के लिए मुंबई आ गया, जहां से उनकी किस्मत बदल गई। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने मुख्य रूप से लेखक के तौर पर काम किया। वह उस दौरान कहानियां और पटकथाएं लिखते थे। इस दौरान उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एक अलग पहचान बनाई। उन्होंने सागर कॉरपोरेशन प्रोडक्शन कंपनी शुरू की। इसके बाद वे रुके नहीं।
सड़कों पर कर्फ्यू जैसा माहौल
इस प्रोडक्शन के तहत 25 जनवरी 1987 को रामायण शो शुरू किया गया। इस सीरियल की शूटिंग में एक साल का समय लगा। इस शो को दूरदर्शन पर जगह मिली और 45 मिनट का स्लॉट मिला, जबकि उस दौरान सभी सीरियल को 30 मिनट का ही स्लॉट मिलता था। लोग कहते हैं कि जब रामायण का प्रसारण होता था, तो सड़कों पर कर्फ्यू जैसा माहौल हो जाता था।