साडा नाट घर के 187वें शो में डॉ. सोमपाल हीरा और डॉ. कंवल ढिल्लों द्वारा निर्देशित नाटक "भाषा वहींदा दरिया" बहुत ही खूबसूरती से पेश किया गया। इस नाटक में एक पात्र है डॉ. सोमपाल हीरा ने अपना अभिनय कौशल दिखाया। दर्शकों से भरे साडा नाटक घर के प्रांगण में बार-बार बजती तालियाँ नाटक की अपार सफलता की गवाही दे रही थीं।
मातृभाषा पंजाबी को बचाने के लिए डॉ. हीरा द्वारा की जा रही इस पहल की काफी सराहना की गई। इस नाटक में सुरजीत पातर की कविताओं के कुछ अंश भी देखे गए। नाटक के अंत में मोमबत्तियां जलाकर सभी को पंजाबी मातृभाषा के प्रति प्रेम का एहसास कराया गया। दलजीत सिंह सोना और मनिंदर सिंह नौशेरा ने डॉ. सोमपाल हीरा को विशेष सम्मान दिया गया।
इस अवसर पर दर्शकों ने नाटक को भरपूर प्यार दिया। सोमपाल हीरा ने कहा कि नाट घर में उनकी यह प्रस्तुति हमेशा के लिए उनकी स्मृतियों में जुड़ गई है। उन्होंने विशेष रूप से दर्शकों की एकाग्रता और अनुशासन की प्रशंसा की।
साडा नाट घर की पूरी टीम को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए सोमपाल हीरा ने कहा कि साडा नट घर सचमुच सपनों का घर है। इसके साथ ही साडा नाट घर का यह कार्यक्रम भी सफलतापूर्वक संपन्न हुआ और सोमवार को शाम 5 बजे एक नए नाटक के साथ मिलने का वादा भी हुआ।