पोंगल (Pongal) के मौके पर आयोजित जल्लीकट्टू त्योहार में तमिलनाडु (Tamil Nadu) के अलग-अलग जिलों में गुरुवार को 7 लोगों की मौत हुई। रोमांच और जोखिम से भरा जल्लीकट्टू और मंजुविरट्टू कार्यक्रमों में ये मौतें हुई है। इसके साथ ही 400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। वहीं अलग-अलग घटनाओं में दो बैलों की भी मौत हो गई है।
जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि बैल और बैल के मालिक की मौत शिवगंगा में सिरावायल मंजुविरट्टू में हुई। मेट्टुपट्टी गांव में कम से कम 70 लोग घायल हो गए। जान गंवाने वाले ज्यादातर लोग खेल में भाग लेने वाली नहीं थे, बल्कि बैल के मालिक और दर्शक थे।
बता दें कि 2025 का पहला जल्लीकट्टू पुदुक्कोट्टई के गंडारवाकोट्टई तालुक के थचानकुरिची गांव में शुरू हुआ था। इसके बाद यह त्रिची, डिंडीगुल, मनाप्पराई, पुदुक्कोट्टई और शिवगंगई जैसे जिलों में भी आयोजित होने लगा। 600 से ज्यादा बैलों को इस खेल में शामिल किया गया है।
क्या है जल्लीकट्टू और क्यों मनाते हैं
2500 सालों से बैल तमिलनाडु के लोगों के लिए आस्था और परंपरा का हिस्सा रहा है। वहीं यहां के लोग हर साल खेतों में फसलों के पकने के बाद मकर संक्रांति के दिन पोंगल त्योहार मनाते हैं। तमिल में पोंगल का मतलब ऊफान या उबलना होता है। इसी दिन वे नए साल की शुरुआत करते हैं।
तीन दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के आखिरी दिन बैलों की पूजा होती है। उन्हें सजाया-संवारा जाता है। फिर शुरू होता है जल्लीकट्टू। इसे एरु थझुवुथल और मनकुविरत्तु के नाम से भी जाना जाता है। यह खेल पोंगल त्योहार का एक हिस्सा है।