मथुरा के राधारानी मंदिर वाले प्रेमानंदजी महाराज एक बार फिर चर्चा में हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले दिनों प्रेमानंदजी महाराज से मुलाकात की। जिसका वीडियो वायरल हो रहा है। कुछ लोगों ने कहा कि ये एक आध्यात्मिक चर्चा थी और कुछ ने कहा कि इसे प्रेम से धुलाई कहते हैं। कौन हैं प्रेमानंद जी, जो आध्यात्म मार्ग के जरिए मोक्ष का मार्ग बताते हैं। भगवान श्रीकृष्ण पर हर संकट के निवारण का भरोसा दिलाते हैं। आध्यात्मिक मार्ग को लेकर एक अलग दृष्टि रखने वाले महाराज प्रेमानंद सोशल मीडिया पर खासे चर्चित हैं।
अनुष्का-विराट मिलने गए थे
इसी साल जनवरी के महीने में प्रेमानंद जी महाराज के साथ अनुष्का शर्मा और विराट कोहली ने मुलाकात की थी।उन्होंने महाराज प्रेमानंद से कई सवाल किए थे। महाराज ने स्टार क्रिकेटर को आशीर्वाद दिया। उन्हें चीजों को समझने के लिए अपनी दृष्टि को बदलने का संदेश दिया। महाराज से मुलाकात के बाद विराट कोहली ने शतक लगाया था। करीब ढाई वर्षों तक विराट कोहली फॉर्म को लेकर जूझ रहे थे। मुलाकात के बाद विराट कोहली का ग्राफ ऊपर को जाने लगा था, जो अभी तय कायम है।
वृंदावन के रमणरेती मार्ग पर है आश्रम
श्रीहित प्रेमानंद महाराज का आश्रम राधा निकुंज वृंदावन के रमणरेती मार्ग पर स्थित है। उनके देश भर में लाखों की संख्या में अनुयाई हैं। करीब डेढ़ दशक से उनकी दोनों किडनी खराब हैं। उनकी नियमित डायलिसिस कराई जाती है। प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए रात दो बजे ही वृंदावन के परिक्रमा मार्ग में आ जाते हैं। आश्रम से वे शिष्यों के साथ रोज पैदल परिक्रमा करते हैं। इससे पहले ही सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में अनुयाई आ जाते हैं।
बचपन में लिया था सन्यास
प्रेमानंद जी महाराज उत्तर प्रदेश के कानपुर में ब्राह्मण परिवार से हैं। बचपन का नाम अनिरुद्ध पांडेय है। पिता का नाम शंभू पांडे और माता का नाम रामा देवी है। दादा और पिता ने भी सन्यास ग्रहण किया था। पांचवीं कक्षा में ही भगवान श्रीकृष्ण भक्ति में डूब गए। गीता का पाठ करने लगे। 13 साल की आयु में उन्होंने ब्रह्मचर्य धारण करने का फैसला लिया। सन्यासी जीवन में उनका नाम आरयन ब्रह्मचारी था। सन्यासी बनने के लिए वे वाराणसी आ गए। तीन बार गंगा स्नान करते थे। दिन में एक बार भोजन करते थे। इसके लिए भिक्षा की जगह मन में भोजन की इच्छा लेकर बैठना तय किया। वे घाट पर बैठते थे। वहां उन्हें भोजन मिलता तो वे करते, नहीं तो गंगाजल पीकर रह जाते थे।
रासलीला ने दिखाई मंजिल
एक दिन उनकी मुलाकात एक संत से हुई। उन्होंने श्री हनुमत धाम यूनिवर्सिटी में श्रीराम शर्मा की ओर से दिन में श्री चैतन्य लीला और रात में रासलीला में आमंत्रित किया। साधु के आग्रह के बाद वे रासलीला में गए। प्रेमानंद जी महाराज ने जब चैतन्य लीला और रासलीला देखी तो वे श्रीकृष्ण भक्ति रस में डूबने लगे। एक माह के कार्यक्रम के दौरान वे श्रीकृष्ण लीला के प्रति आसक्त हो गए। संत से फिर मुलाकात की। साथ लेकर चलने को कहा। साधु ने उन्हें वृंदावन आने की सलाह दी। प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में राधारानी और श्रीकृष्ण के चरणों में आ गए। वे भक्ति मार्ग में आ गए और राधा वल्लभ संप्रदाय से भी जुड़ गए।