खबरिस्तान नेटवर्क: साइबर ठगी एक ऐसा ऑनलाइन अपराध डिजिटल अरेस्ट ऐसा सच है जिसको नकारना मुश्किल है। ठग तो ममी फिल्म के बिच्छू जैसे हैं जो बस पैदा ही होते जा रहे हैं हालांकि इसको रोकने के लिए सरकार पूरी कोशिश कर रही है। जैसे कि साइबर क्राइम हेल्पलाइन से लेकर चक्षु जैसे पोर्टल बना रही है जहां पर फ्रॉड वाले नंबरों को रिपोर्ट किया जा सकता है। यदि ठगी हुई तो उसकी एफआईआर करवाना बहुत मुश्किल काम है। 1930 पर कॉल करके शिकायत तो दर्ज हो ही जाती है लेकिन एफआईआर के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है।
भारत सरकार ने लॉन्च किया e-Zero FIR सिस्टम
भारत सरकार की ओर से हाल ही में e-Zero FIR सिस्टम लॉन्च किया गया है। इस सिस्टम का मकसद साइबर सेफ्टी को मजबूत बनाना और हाई वेल्यू वाले साइबर वित्तीय अपराधों की जांच को जल्दी ट्रैक करना शामिल है। अब इस नए सिस्टम के कारण साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके जो शिकायत दर्ज होगी उसे खुद ही एफआईआर मान लिया जाएगा। ऐसा होने के बाद साइबर पुलिस उस केस की तेजी से जांच करेगी। ऐसे में जाहिर से बात है कि ऐसा होने पर अपराधियों के खिलाफ अब जल्द से जल्द कार्रवाई होने के चांस बढ़ जाएंगे। अभी तक प्रोसेस जरा लंबा और उबाऊ था।
अब आपको मिलेगा गोल्डन Hour
जानकारी के अनुसार, पहले तो 1930 पर कॉल करके शिकायत दर्ज करवाई जाती थी और फिर नजदीकी साइबर पुलिस थाने में जाकर एफआईआर लिखवानी पड़ती थी। इन सभी में काफी समय भी बर्बाद होता था और ठगों को पैसा एक अकाउंट से दूसरे, तीसरे और चौथे अकाउंट में ट्रांसफर करने का भी मौका मिल जाता था। e-Zero FIR अब इसी से निपटने का एक नया तरीका है। आसान भाषा में बोलें तो ठगी होने के तुरंत बाद होने वाली प्रोसेस। इसको golden hour कहते हैं। ठगी के पैसे को ब्लॉक करने का ये सबसे मुफीद टाइम होता है।
दिल्ली में स्टाट किया गया प्रोजेक्ट
इसे अभी हाल फिलहाल में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली में शुरु किया गया है। अभी के लिए 10 लाख रुपये से ऊपर के फाइनेंशियल फ्रॉड इसके दायरे में ही आएंगे। साफ-समझ आता है कि सरकार हाई वैल्यू वाले फ्रॉड से जल्दी निपटने की कोशिश कर रही है। e-Zero FIR की प्रोसेस National Cybercrime Reporting Portal (NCRP) पर शिकायत करना भी मान्य होगा। माने जो पीड़ित कॉल करने की जगह पोर्टल पर जाकर शिकायत करते हैं तो भी उसे FIR ही माना जाएगा। ये एफआईआर इलेक्ट्रॉनिक रूप से दिल्ली के ई-क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज की जाएगी। बाद में इससे संबंधित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशनों को ट्रांसफर कर दिया जाएगा।