चंडीगढ़ में पंजाब सरकार और किसानों के बीच आज कृषि पॉलिसी को लेकर मीटिंग हुई। इस दौरान किसानों की ओर से सरकार को 24 सुझाव दिए गए हैं। किसान मंत्री ने कहा कि किसानों द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार किया जाएगा। जिसके बाद किसानों के साथ दोबारा मीटिंग की जाएगी। फिलहाल पंचायत चुनाव की आचार संहिता लगी हुई है।
इस मीटिंग में भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां और खेत मजदूर यूनियन का किसानों का प्रतिनिधिमंडल मीटिंग में शामिल हुआ। उन्होंने विस्तार से पॉलिसी की अच्छी बातों और खामियों को बताया है।
पॉलिसी की विस्तार से की स्टडी
जानकारी के मुताबिक, किसान नेताओं ने बताया कि उन्हें पहले ही पॉलिसी की कॉपी मिल गई थी। इसके बाद उन्होंने विस्तार से उसकी स्टडी की है। जिसके बाद उन्होंने एक्सपर्ट्स से स्टडी करने के बाद पॉलिसी में शामिल करने का सुझाव दिया है।
किसानों ने क्या रखी मांगें
इस मीटिंग के बाद किसान नेताओं ने कहा कि उन्होंने पंजाब सरकार के सामने कुछ सुझाव रखे हैं। जिसमें उन्होंने मांग की है कि धान का रकबा कम करने के सुझावों के साथ-साथ किसानों को आर्थिक मदद भी दी जाए। किसानों और मजदूरों को 58 साल की आयु पर 10,000 रुपए की निश्चित मासिक पेंशन दी जाए। किसानों की फसल में आढ़तियों की मध्यस्थता खत्म की जाए और सरकार सीधे किसानों से फसल खरीदे।
मनरेगा के तहत परिवार के जितने भी बालिग सदस्य (Adult Member) है, सभी को साल भर काम दिया जाएं। कृषि में जितनी भी अनावश्यक मशीनरी आई, जिसने किसान मजदूरों का उजाड़ा किया है, को खत्म किया जाएं।
किसान की मांग- कर्ज से मुक्ति दिलाई जाए
किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि विस्तार से मीटिंग हुई। उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को सुनेगी। अगला फैसला सरकार को लेना है। उन्होंने कहा कि पहले मांगों को मनवाने के लिए संघर्ष करना होगा और फिर उन्हें लागू कराने के लिए। उन्होंने कहा कि उनकी मांग है कि किसान मजदूरों को कर्ज से मुक्ति दिलाई जाए।
कृषि मंत्री ने क्या कहा?
किसानों के साथ मीटिंग के बाद कृषि मंत्री गुरमीत खुड्डियां ने कहा कि उनकी किसान नेताओं के साथ सहज माहौल में बातचीत हुई, जिसमें कृषि नीति से जुड़े सुझावों और विचारों पर विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि 15 अक्टूबर के बाद पंचायत चुनाव के बाद और सुझावों पर चर्चा की जाएगी ताकि कृषि नीति को अंतिम रूप दिया जा सके।
कृषि पॉलिसी को लेकर किया था प्रदर्शन
बता दें कि सितंबर महीने में पंजाब सरकार का मानसून सेशन हुआ था। इस दौरान कृषि पॉलिसी को लेकर चंडीगढ़ में पहुंचे थे। चंडीगढ़ प्रशासन ने करीब 15 साल के बाद किसानों को शर्तों के साथ प्रदर्शन की अनुमति दे दी थी। इस दौरान किसानों ने सेक्टर-34 से मटका चौक तक मार्च निकाला था।