वेब खबरिस्तान, मथुरा/वृंदावन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के बाद ब्रज-भूमि को वह महत्व नहीं मिला, जो मिलना चाहिए था। मथुरा और ब्रज अब विकास की इस दौड़ में पीछे नहीं रहेंगे। विश्वनाथ धाम, उज्जैन में महाकाल धाम, केदारघाटी में केदार के दर्शन कर लाखों भक्त धन्य हो रहे हैं। अयोध्या में तो प्राण प्रतिष्ठा की तिथि आ चुकी है। वह दिन दूर नहीं जब मथुरा में भी भगवान के दर्शन और भी दिव्यता के साथ होंगे। मोदी गुरुवार को संत मीराबाई के 525वें जन्मोत्सव समारोह के मौके पर लोगों को संबोधित कर रहे थे। ब्रजरज महोत्सव के तहत हुए इस आयोजन में प्रधानमंत्री 22 मिनट के भाषण में पूरी तरह से कृष्णभक्ति में डूबे नजर आए। मुश्किल से मुश्किल समय में भी खुद को संभाले रखा। जब देश आजाद हुआ तो जो महत्व इस तीर्थ को मिलना चाहिए था वह दुर्भाग्य से नहीं मिला।’
देश अब गुलामी की मानसिकता से बाहर आया
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग भारत को अतीत से काटना चाहते थे और संस्कृति व आध्यात्मिक पहचान से विरक्त करना चाहते थे, वे देश की आजादी के बाद भी अपनी गुलामी की मानसिकता नहीं त्याग पाए। देश अब गुलामी की मानसिकता से बाहर आया है। ब्रज के विकास के लिए तीर्थ विकास परिषद कार्य कर रही है। सरकार का प्रयास होगा कि अलग-अलग राज्यों (यूपी-राजस्थान-हरियाणा) में आने वाले ब्रज क्षेत्र का विकास हो। महाभारत प्रमाण है कि जहां विकास होता है, वहां कृष्ण का आशीर्वाद होता है। हम विकसित भारत का निर्माण करेंगे।
ब्रज की रज-रज में राधारानी, कण-कण में कृष्ण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रज रज महोत्सव में सभी ब्रजवासीन कूं मेरी राधे-राधे संबोधन से शुरूआत की। पीएम मोदी ने कहा, मथुरा की रज-रज में राधा और कण-कण में कृष्ण समाए हैं। यहां वही आते हैं, जिन्हें कृष्ण और श्रीजी बुलाते हैं। ये साधारण धरती नहीं है। ब्रज की रज भी पूरे संसार में पवित्र मानी जाती है। विश्व के सभी तीर्थ यात्रा से जो लाभ मिलता है, ब्रज में आने से वह सब मिल जाता है। प्रभु श्रीकृष्ण, उनकी आल्हादिनी शक्ति राधा और अखंड भक्ति की प्रतीक मीराबाई को पर्यावरण और गो-संवर्धन अभियान का प्रेरणा स्रोत बताते हुए पूरे देश को अभियान से जोड़ने की अपील की।
पर्यावरण और पशुधन आर्थिक चिंतन का हिस्सा
उन्होंने कहा-‘ब्रज क्षेत्र प्रेम और भक्ति की भूमि ही नहीं बल्कि साहित्य, संगीत, संस्कृति और सभ्यता का भी केंद्र रहा। वह बोले कि यमुना, वैजयंती माला, मयूर पंख, बांसुरी, कदंब और फिर गाय के बिना कृष्ण अधूरे हैं, इसीलिए वह पूरे विश्व में पर्यावरण संरक्षण के प्रेरणा स्रोत हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि क्या दूध, दही, माखन के बिना बाल गोपाल की कल्पना कोई कर सकता है? पर्यावरण और पशुधन के बिना जितने अधूरे हमारे आराध्य नजर आते हैं उतना ही अधूरापन भारत में नजर आएगा। पर्यावरण और पशुधन भारत के आर्थिक चिंतन का हिस्सा रहा है।
PM ने सबसे पहले ब्रजवासियों से क्षमा मांगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत करने के साथ सबसे पहले ब्रजवासियों से क्षमा मांगी। उन्होंने कहा कि मैं चुनाव में था, क्षमा चाहता हूं कुछ देरी हो गई। उन्होंने कहा कि 84 कोस का यह ब्रज मंडल यूपी और राजस्थान को जोड़कर बनता है। मीराबाई ने भक्ति धारा बहाकर भारत की चेतना को सींचा था। इसके लिए मीराबाई के परिवार ने राजस्थान में उस समय अपना सबकुछ झोंक दिया था। देश की आन की रक्षा के लिए राजस्थान के लोगों ने बलिदान दिया था। यह समारोह मीराबाई के प्रेम, परंपरा के साथ पराक्रम की याद दिलाता है। यही भारत की पहचान है।
तीर्थस्थल : सत्प दिपेशु...यथ मथुरा भ्रमणीय..
पीएम मोदी ने कहा कि यहां पर ब्रज और ब्रजवासियों का दर्शन मिला है। यहां वही आता है जिसे श्रीकृष्ण बुलाते हैं। यह कोई साधारण धरती नहीं है। ब्रज लालजी और लाडली जी के प्रेम का साक्षात अवतार है। ब्रज तो हमारे श्यामाश्यामजी का अपना धाम है। यह ब्रज ही है जिसकी रज भी पूरे संसार में पूजनीय है। इसीलिए हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि सत्प दिपेशु...यथ मथुरा भ्रमणीय.. अर्थात विश्व के सभी तीर्थयात्राओं का जो लाभ होता है उसका अकेला लाभ ब्रज की यात्रा से मिल जाता है।
गुजरात से रिश्ता : आली रे मोरे लगे ब्रज नीको...
प्रधानमंत्री ने कहा कि मथुरा के इस समारोह में आना इसलिए भी विशेष है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण से लेकर मीराबाई दोनों का गुजरात से अलग ही रिश्ता है। मथुरा के कान्हा ने यहां से जाकर गुजरात में द्वारिका बनाई और उनकी महान भक्त मीराबाई ने राजस्थान से आकर अंत समय गुजरात में बिताया था। संत मीराबाई ने वृंदावन में भक्ति से अभिभूत होकर कहा था आली रे मोरे लगे ब्रज नीको...इसलिए जब गुजरात के लोगों को आने का मौका मिलता है तो वे इसे द्वारिकाधीश की कृपा मानते हैं।
नारी पूज्यनीय : मीराबाई पथ प्रदर्शक
प्रधानमंत्री ने कहा कि मीराबाई और उनके पद हर काल में युग में प्रासंगिक हैं। आज हम वर्तमान काल की चुनौतियों को देखेंगे तो मीराबाई रूढ़ियों से मुक्त होकर अपने मूल्यों से जुड़े रहने की सीख देती हैं। मीराबाई कहती हैं कि मीरा के प्रभु सदा सहाय गिरधर पर बल जाई...भक्ति में सरलता है तो दृढ़ता भी है। मोदी ने कहा कि मीराबाई की एक विशेषता का वर्णन करना चाहता हूं। मीराबाई से भक्ति, प्रेम और पराक्रम सीखने की बात कही। हम बांसुरी बजाते कृष्ण को देखते हैं तो सुदर्शनधारी को भी देखते हैं। कन्हैया के नगर में लाडली सरकार की ही पहले चलती है।
समाज काे मिल रहा लगातार मार्गदर्शन
यहां संबोधन, संवाद सब कुछ राधे-राधे कहकर ही होता है। कृष्ण के आगे भी राधा ही लगा है। हमारा भारत हमेशा से नारीशक्ति का पूजन करने वाला देश रहा है। हमारे देश में महिलाओं ने हमेशा जिम्मेदारियां भी उठाईं और समाज का लगातार मार्गदर्शन भी किया है। मीराबाई जी इसका भी एक प्रखर उदाहरण रही हैं। मीराबाई एक पथ प्रदर्शक रही हैं। मीराबाई ने कहा था कि तुझे इस धरती और आसमान के बीच जो कुछ दिखाई दे रहा है। उसका अंत एक दिन निश्चित है। इस बात में कितना बड़ा गंभीर दर्शन छिपा है। हम सब समझ सकते हैं।
भक्ति का संगम स्थल मथुरा
प्रधानमंत्री ने कहा कि मीराबाई ने उस कालखंड में जो राह दिखाई जब उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। जब भारत की चेतना पर प्रहार हुआ जब चेतना कमजोर पड़ी तब देश में किसी ने किसी कोने में चेतना जगाने का संकल्प लिया। इस पुण्य काम के लिए कोई भक्त बना तो कोई योद्धा बना। उत्तर भारत में रविदास, सूरदास, कालीदास हुए। दक्षिण, महाराष्ट्र में भी अलग-अलग संत हुए। सबकी अलग-अलग परंपरा थी, रीतिरिवाज थे। पर सबका उद्देश्य एक ही था। भक्ति की धारा निकली उसने एक साथ मिलकर पूरे भारत को जोड़ दिया। मथुरा भक्ति का संगम स्थल रहा। चैतन्य महाप्रभु, वल्लभदास, कितने संत यहां आए और प्राण फूंके।
यह भारत के प्रेम का उत्सव
संतों ने कहा- वृंदावन सो वन नहीं, नंदगांव सो गांव नहीं और वंशी वट जैसा कहीं वट नहीं। इसलिए अब मथुरा के साथ संपूर्ण ब्रज भी विकास में पीछे नहीं रहेगा। यह भक्ति चक्र कृष्ण के आशीर्वाद से जारी है। मीराबाई का 525वां जन्मोत्सव एक संत का जन्मोत्सव नहीं है, यह भारत के प्रेम का उत्सव है। नर- नारायण, भक्त और भगवान का उत्सव है। आज इस उत्सव में संत मीराबाई के नाम पर स्मारक टिकट और सिक्का जारी करने का सौभाग्य मिला है। मैं दिव्य ब्रज के स्वामी भगवान कृष्ण और राधारानी को पूर्ण समर्पण भाव से प्रणाम करता हूं।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान आने वाले पहले पीएम
मैं मीराबाई के चरणों में नमन करते हुए ब्रज के संतों को प्रणाम करता हूं। मैं सांसद हेमामालिनी का अभिनंदन करता हूं। वह सांसद तो हैं ही लेकिन ब्रज में रम गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान पहुंचे। केशवदेव मंदिर, गर्भगृह के बाद भागवत भवन में भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के साथ पूरे विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया। सेवायतों ने पगड़ी-पटका पहना स्वागत करने के साथ ही उन्हें प्रसाद प्रदान किया, तो श्रीकृष्ण सेवा संस्थान ने स्मृति चिह्न भेंट किया।
मीराबाई पर स्मारक और डाक टिकट
प्रधानमंत्री ने मथुरा और द्वारका से भगवान श्रीकृष्ण के साथ संत मीराबाई का कनेक्शन अपने ही अंदाज में जोड़ा। साथ ही संत मीराबाई की स्मृति में स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया। 525 रु मूल्यवर्ग के सिक्के का वजन 35 ग्राम का है और यह 50% चांदी, 40% तांबा, 5% निकिल और 5% जस्ते से निर्मित है। यह सिक्का आम प्रचलन में नहीं होगा। उन्होंने संत रविदास को अपना गुरु माना। इसलिए मीराबाई मध्य काल की सिर्फ एक महान महिला नहीं थीं, बल्कि समाज सुधारक और पथ प्रदर्शक रही हैं।
विरासत पर गौरव करता है नया भारतः योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह पहला मौका है जब किसी प्रधानमंत्री ने श्रीकृष्ण जन्मस्थल के दर्शन किए। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह देश नए भारत के रूप में एक विकसित भारत की रूपरेखा दुनिया के सामने प्रस्तुत कर देता है। यह एक भारत भी है, और श्रेष्ठ भारत भी है। जो विकास भी बात करता है और गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को भी लागू करता है। यह नया भारत अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति करता है।
सांसद हेमामालिनी की प्रतिबद्धता को सराहा
सांसद हेमामालिनी ब्रज रज रस के कार्यक्रम में पूरी भक्ति से जुटी हैं। अपनी प्रतिभा और प्रदर्शन से समारोह को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मथुरा की सांसद और ख्यात अभिनेत्री हेमामालिनी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खूब सराहा। ब्रजरज महोत्सव के आयोजन के साथ ही संत मीराबाई को लेकर उनकी प्रतिबद्धता, अभिनय और समर्पण की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि मेरी बहन हेमा जी अब ब्रज में पूरी तरह रच-बस गई हैं और इसके विकास के लिए सदैव तत्पर रहती हैं। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल औऱ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके साथ मौजूद रहे।