आज मनोज बाजपेयी का 55वां बर्थडे है। बिहार के छोटे से गांव में जन्मे मनोज ने पहला ख्वाब ही एक्टर बनने का देखा था। इसके लिए उन्हें शुरुआत से ही बहुत पापड़ बेलने पड़े थे। NSD के लिए दिल्ली तक पहुंचने के लिए उन्होंने झूठ का सहारा लिया था। उन्होंने पेरेंट्स से कहा था कि वे IAS की तैयारी के लिए दिल्ली जा रहे हैं। ऐसी ना जाने कितनी रुकावटों की बेड़ियां तोड़ मनोज ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई है।
पढ़िए मनोज बाजपेयी के सफर बनने की कहानी…
पिता की ख्वाहिश थी कि डॉक्टर बनें
पिता किसान थे। नतीजतन, मनोज को भी खेत जोतने से लेकर रोपाई तक का काम आता था। हालांकि, पिता ने कभी नहीं चाहा कि उनके बच्चे खेती-किसानी करें। कमाई कम थी, लेकिन उन्होंने सभी बच्चों को अच्छे से पढ़ाया। पिता चाहते थे कि मनोज डॉक्टर बनें। उनकी इस इच्छा के पीछे का कारण यह था कि वे खुद डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन 5 लाख रुपए की कमी ने उनके इस सपने को पूरा नहीं होने दिया। यही वजह रही कि 7 साल के मनोज को हॉस्टल भेज दिया गया। मनोज ने द अनुपम खेर शो में इस बात का खुलासा किया था कि इस बात के लिए उन्हें पेरेंट्स से अभी भी शिकायत है। उन्होंने कहा था- मैं आज भी पेरेंट्स से कहता हूं कि मुझे इतनी कम उम्र में हॉस्टल नहीं भेजना चाहिए था। वहां पर सारे बड़े बच्चे मुझे बहुत तंग करते थे।
5वीं क्लास में NSD में जाने का फैसला कर लिया था
पिता ने तो सोच रखा था कि बेटा डॉक्टर बनेगा, लेकिन मनोज के मन में एक्टिंग के अलावा कभी कुछ रहा ही नहीं। परिवार में किसी का ताल्लुक फिल्म इंडस्ट्री से नहीं था, लेकिन मनोज के पेरेंट्स को फिल्में देखने का शौक बहुत था। बचपन में पेरेंट्स के साथ मनोज ने भी ‘जय संतोषी मां’ जैसी फिल्में 6-7 बार देखी थीं। बढ़ती उम्र के साथ मनोज का एक्टिंग के लिए जुनून बढ़ता चला गया, लेकिन उन्हें पता नहीं था कि आगे चलकर करना क्या है। 5वीं क्लास के आसपास उन्होंने राज बब्बर, ओमपुरी और नसीरुद्दीन शाह का इंटरव्यू पढ़ा। इन तीनों ने लाइफ जर्नी वाले इस इंटरव्यू में NSD के बारे में जिक्र किया था।
इसे पढ़कर मनोज को पता चला कि ग्रेजुएशन के बाद वे एक्टिंग की पढ़ाई के लिए NSD जा सकते हैं। उसी वक्त उन्होंने फैसला कर लिया कि आगे चलकर उन्हें NSD में ही एक्टिंग की पढ़ाई करनी है।
IAS बनने का झूठ बोलकर गए दिल्ली
12वीं पास करने के बाद मनोज दिल्ली चले गए, लेकिन यहां वे एक झूठ बोलकर पहुंचे थे। मनोज के पेरेंट्स इस सच के साथ उन्हें दिल्ली नहीं भेजते कि वे एक्टर बनने जा रहे हैं। ऐसे में उन्होंने पिता से कहा- मैं डॉक्टर तो नहीं बन सकता, लेकिन IAS जरूर बनूंगा और इसकी तैयारी के लिए दिल्ली जाना है। ये सुन परिवार वालों ने उन्हें दिल्ली भेज दिया। 2-3 साल दिल्ली में बिताने के बाद मनोज ने सोचा कि वे घरवालों को सच्चाई बता दें। उन्होंने पिता को खत लिख कर बता दिया कि वे एक्टर बनने दिल्ली आए हैं। हालांकि, जो जवाब पिता ने मनोज को दिया, वो काफी मजेदार था। उन्होंने लिखा- प्रिय पुत्र मनोज। मैं तुम्हारा ही पिता हूं। मुझे पता है कि तुम एक्टर बनने ही गए हो।
किस्मत से मिली पहली फिल्म
एक दिन मनोज रिहर्सल कर रहे थे, तभी उनके पास तिग्मांशु धूलिया पहुंचे। उन्होंने मनोज से कहा-एक फिल्म के सिलसिले में शेखर कपूर तुमसे मिलना चाहते हैं। ये सुन मनोज शॉक्ड रह गए और उन्होंने कहा- भाई मजाक ना करो, वैसे भी समय सही नहीं चल रहा है। इस पर तिग्मांशु ने कहा- सच कह रहा हूं। उन्होंने तुम्हारी फोटो देखी है और वो तुमसे फिल्म बैंडिट क्वीन के सिलसिले में मिलना चाहते हैं। ये सुन मनोज, शेखर कपूर से मिलने चले गए। मुलाकात के बाद उन्हें फिल्म में विक्रम मल्लाह का रोल ऑफर हुआ, लेकिन कुछ समय बाद यह रोल निर्मल पांडे को मिल गया। ये देख एक बार फिर से मनोज का दिल टूट गया। इस बात को कुछ ही दिन बीते थे। वे कोलकाता में शूटिंग कर रहे थे। तभी उनके पास तिग्मांशु का कॉल आया- तुम जल्दी से दिल्ली आ जाओ। नसीर साहब ने मानसिंह का किरदार करने से मना कर दिया है। शेखर कपूर तुम्हें उनकी जगह इस रोल में कास्ट करना चाहते हैं।
7 साल संघर्ष किया
सत्या के बाद 1999 से लेकर 2003 तक, मनोज को फिल्मों में अच्छे रोल मिले, लेकिन इसके बाद वे फिर से अच्छे किरदार के लिए संघर्ष करने लगे। ये संघर्ष उनका 7 साल तक चला। 2003 से लेकर 2010 तक वे अच्छे रोल के लिए भटकते रहे। ऐसा नहीं था कि इस दौरान उन्हें काम नहीं मिला, काम मिला पर उनकी पसंद का नहीं। इतने लंबे संघर्ष के बाद फिल्म राजनीति से उनका करियर फिर से पटरी पर आ गया। फिर 2012 में फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर रिलीज हुई, जिसने रातों-रात मनोज को स्टार बना दिया। प्रकाश झा के डायरेक्शन में बनी फिल्म राजनीति में मनोज ने वीरेंद्र प्रताप का रोल प्ले किया था। फिल्म में उनके साथ अजय देवगन, अर्जुन रामपाल, कटरीना कैफ और रणबीर कपूर जैसे कलाकार भी दिखाए दिए थे। 45 करोड़ में बनी इस फिल्म ने 145.50 करोड़ का कलेक्शन किया था।
2019 से लेकर 2023 तक, मनोज की कुल 8 फिल्में रिलीज हुई हैं। जिसमें से सिर्फ 3 फिल्म सोनचिरैया, सूरज पर मंगल भारी और जोरम थिएटर में रिलीज हुई हैं। बाकी सभी फिल्मों को OTT पर स्ट्रीम किया गया। OTT पर उनकी 7 वेब सीरीज भी आई हैं।