महाराष्ट्र सरकार ने नांदेड़ स्थित तखत सचखंड श्री हजूर अबचल नगर साहिब से जुड़े एक्ट में संशोधन किए जाने वाले बिल को वापिस ले लिया है। ये दावा भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता RP सिंह ने किया है।
गुरुद्वारा सचखंड बोर्ड, नांदेड़ क्या है?
महाराष्ट्र के नांदेड़ में तख्त हजूर साहिब, सिखों के पांच तख्तों (उच्च लौकिक सीटों) में से एक है और इसका ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का निधन यहीं हुआ था। 1956 अधिनियम के अनुसार, गुरुद्वारा सचखंड बोर्ड, नांदेड़ तख्त हजूर साहिब के प्रबंधन की देखभाल करता है। इसका सालाना बजट करीब 100 करोड़ रुपये और संपत्ति करोड़ों की है।
श्री हजूर साहिब गुरुद्वारा का इतिहास
महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर में तख्त सचखंड श्री हजूर साहिब गुरुद्वारा है| इस ईतिहासिक गुरुद्वारा साहिब का नाम भी सिख धर्म के पांच तख्त साहिब में नाम आता है| सचखंड श्री हजूर साहिब को अबिचल नगर भी कहा जाता है| इस गुरुद्वारे का ईतिहास दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी से जुड़ता है| इसी जगह पर 7 अकतूबर 1708 ईसवीं में गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ज्योति जोत समाए थे| गुरु जी ने अपने जीवन का अंतिम समय इसी जगह पर गुजारा था| इसी जगह पर ही गुरु गोबिंद सिंह जी ने गुदगदी गुरु ग्रंथ साहिब को सौंप थी ती और गुरु ग्रंथ साहिब को ही अगला गुरु घोषित कर दिया था |
संशोधन से क्या बदलेगा?
1956 के अधिनियम के अनुसार, 17 सदस्यीय तख्त हजूर साहिब बोर्ड में चार नामांकित एसजीपीसी सदस्य, सचखंड हजूर खालसा दीवान के चार सदस्य, संसद के दो सिख सदस्य, मुख्य खालसा दीवान से एक, मराठवाड़ा के सात जिलों से सीधे चुने गए तीन सदस्य शामिल हैं। महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से एक-एक सदस्य और नांदेड़ कलेक्टर।
नए संशोधन के अनुसार, 17 सदस्यों में से 12 को सीधे महाराष्ट्र सरकार नामित करेगी, तीन निर्वाचित होंगे और एसजीपीसी अब केवल दो को नामित कर सकती है। संसद या अन्य संगठनों से कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा।