जालंधर नगर निगम चुनाव के लिए सभी पार्टियों का प्रचार ज़ोरों पर हैं। वोटिंग के लिए सिर्फ दो ही दिन बचे हैं और ज्यादातर वार्डों में आप उम्मीदवारों का पलड़ा भारी लग रहा है। क्योंकि भले ही आप के पास कांग्रेस-भाजपा जितने पुराने चेहरे नहीं हैं पर पार्टी चुनाव जीतने का पूरा दमखम रखती है। नगर निगम चुनाव जीतने के बाद जो भी नया मेयर बनेगा। उसकी टीम के सामने पांच बड़ी चुनौतियां होंगी, जिनसे उन्हें पार पाना होगा।
कूड़े के डंप
जालंधरवासियों को अगर शहर में सबसे ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ा है तो वह जगह-जगह फेंका गया कूड़ा। कूड़े की लिफ्टिंग और कूड़े के डंप के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। नए मेयर के सामने चुनौती होगी कि वह इस समस्या को दूर करें। क्योंकि कई बार तो कई कई दिन कूड़े कि लिफ्टिंग नहीं हो पाती जिस कारण शहर में कूड़े के बड़े-बड़े ढेर लग जाते हैं। जो शहरवासियों की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। इसके अलावा वरियाणा में कूड़े का पहाड़ पिछले कई सालों से बड़ा ही होता जा रहा है। इसका भी कुछ निदान करना होगा।
जल भराव से परेशानी
भले ही जालंधर को स्मार्ट सिटी बनाने की कोशिश की जा रही हो, पर मानसून के समय बारिश में ये स्मार्ट सिटी के सारे दावे हर बार डूब जाते हैं। क्योंकि हर बार शहर में जल भराव की समस्या देखने को मिलती है। शहर की सड़कें पानी से भर जाती हैं और गाड़ियां तैरने लगती हैं और हर बार की तरह 'जल के अंदर जालंधर' जैसी सुर्खियां अखबारों के पहले पन्ने और चैनल्स पर चलती हैं। इस समस्या को दूर करना सबसे बड़ी चुनौती रहेगी।
सीवरेज और पानी की समस्या
बारिश के मौसम में सीवरेज की समस्या भी खुलकर सामने आती है। सीवरेज के ओवरफलो होने के कारण इलाका निवासियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और यही सीवरेज का पानी फिर उनके नल में भी आता है। जिस कारण उन्हें बाजार से पानी खरीदने पर मजबूर होना पड़ता है। पिछले मानसून सीजन में इसे लेकर लोगों के बीच काफी गुस्सा भी देखने को मिला था। क्योंकि गंदे पानी के कारण राजेश नाम के व्यक्ति के 2 साल के बेटे की मौत हो गई थी।
आवारा कुत्तों का खौफ
शहर में अभी भी अवारा कुत्तों का खौफ लोगों के दिलों में बसा हुआ है। हाल ही में एक 65 साल की बुजुर्ग महिला को 7 से 8 कुत्तों ने काटा। जिस कारण महिला को सिविल अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। अवारा कुत्तों पर नगर निगम लगाम लगाने में कामयाब नहीं हो पाया। जिस वजह से अभी भी कई इलाकों में दिन और रात के समय में लोगों को जाने में डर लगता है।
स्ट्रीट लाइटों की समस्या
जालंधर में स्मार्ट सिटी कंपनी ने 58 करोड़ रुपये खर्च करके 72 हज़ार से ज़्यादा एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगवाई थीं, लेकिन इनमें से कई लाइटें बंद पड़ी हैं। इन लाइटों को मेंटेन नहीं किया जा रहा और स्मार्ट सिटी कंपनी को मेंटेनेंस के लिए भुगतान नहीं किया जा रहा। शहर में कई इलाकों में स्ट्रीट लाइटें लंबे समय से खराब हैं और अंधेरे की वजह से लोगों को रात के समय आने-जाने में परेशानी होती है