ख़बरिस्तान नेटवर्क, प्रयागराज : गणेश चतुर्थी का त्योहार मंगलवार से शुरु हो गया है। जिसके बाद आज सुबह भक्तों को एक साथ पवित्र डुबकियां लगाते और पूजा-अर्चना करते करते हुए भी देखा गया। 10 दिनों के इस उत्सव को लेकर लोगों में काफी उत्साह भी देखने को मिला। लोगों ने भगवान गणेश जी की मूर्ति को फूलों से सजाना शुरू कर दिया है। भोग के लिए मिठाईयां व फल भी घरों में आने शुरू हो गए हैं। घरों में रंगोलियां बननी शुरू हो गई है।
भाद्रपद महीने में मनाया जाता यह त्योहार
गणेश चतुर्थी हर साल बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है, इस दिन हजारों भक्त भगवान गणेश जी के दर्शन के लिए मंदिरों व पंडालों में इकट्ठा होते हैं। हिंदू कैलेंडर के हिसाब से भाद्रपद महीने में भगवान शिव और माता पार्वती जी के पुत्र गणपति जी के जन्मदिन का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। त्योहार के दौरान पूरा देश गणपति जी की सेवा में लग जाता है।
इस त्योहार इन नाम से भी जाना जाता
इस त्योहार को विनायक चतुर्थी व गणेशोत्सव के नाम से भी पुकारा जाता है। घर में और सोने के पंडालों में गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना होती है। गणपति जी के 10 दिन घर में रहने के बाद गणेश चतुर्दशी आती है। इस दिन लोग गणेश जी की मूर्तियों को नदी में विसर्जन करते हैं।
इस तरह करें मुर्ती स्थापना
1. मूर्ति की स्थापना उत्तर दिशा में करना श्रेष्ठ है
2. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मूर्ति स्थापित करें
3. पीला जनेऊ, पीले पुष्प के साथ मोदक (लड्डू), नारियल अर्पित करें
4. दूर्वा, गुलाब के पुष्प से पूजन करें और पंचमेवा, ऋतुफल अर्पित करें
5. ऊं गं गणपतये नम मंत्र का जाप करें, तीनों काल आरती करें।
● गौरीपुत्र गणेशजी का पहला नाम विनायक है। बाद में हाथी की सूंड के बाद वह गणेश और गणों का नेतृत्व करने के बाद गणपति कहलाए गए
● अपने माता-पिता (शिव-पार्वती) की सेवा करने और उनको ही तीर्थ मानने के कारण गणपति को अग्रणी देव की पदवी मिली, हर शुभ कार्य उनके ही आह्वान और स्वागत से प्रारंभ होते हैं
गणेशजी का नाम पहले विनायक रखा गया
1. गौरीपुत्र गणेशजी का पहला नाम विनायक है। बाद में हाथी की सूंड के बाद वह गणेश और गणों का नेतृत्व करने के बाद गणपति कहलाए गए।
2. अपने माता-पिता (शिव-पार्वती) की सेवा करने और उनको ही तीर्थ मानने के कारण गणपति को अग्रणी देव की पदवी मिली, हर शुभ कार्य उनके ही आह्वान और स्वागत से प्रारंभ होते हैं।
3. वह माता गौरी की शक्ति पुंज हैं। उनकी ही शक्ति से ही भगवान गणपति का जन्म हुआ।
4. वह विवेक और बुद्धि के देव हैं।
5. भगवान विश्वकर्मा जी की पुत्रियां ऋद्धि-सिद्धि उनकी पत्नी हैं।
महाभारत लिखने के लिए महर्षि वेद व्यास ने किया था, गणेश जी का आह्वान
महाभारत लिखने के लिए महर्षि वेद व्यास जिस गति से सोच रहे थे, उस गति से लिख नहीं पा रहे थे। तब उन्होंने गणेश जी का आह्वान किया। मान्यता है कि यह गणेश जी ने 10 दिन में महाभारत लिखी थी। इस तरह उनको पहला आशुलेखक भी कही जाता है। इस मान्यता से भी घरों में उनकी स्थापना करना जुड़ी है।