रिपोर्ट जालंधर : पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी का नाम जालंधर लोकसभा सीट से उम्मीदवार के तौर पर आने से चौधरी और केपी परिवार का वर्चस्व खतरे में पड़ गया है। दशकों से चौधरी और केपी परिवार दोआबा की दलित राजनीति का केंद्र माना जाता आ रहा है। केपी परिवार पहले ही हाशिए पर है और अब चौधरी परिवार की पकड़ भी दोआबा में ढीली पड़ती नजर आ रही है। यही कारण है कि कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले जालंधर सीट से कांग्रेस केपी या चौधरी
परिवार को छोड़ पूर्व सीएम चन्नी पर दांव खेलना चाहती है।
जालंधर के लिए चन्नी का नाम आगे आने के बाद चौधरी परिवार नाराज होकर घर में बैठा है। उन्होंने चुनाव से दूरी बना ली है। उनको अब हाईकमान की तरफ से टिकट की घोषणा का इंतजार है, ताकि वह खुलकर अपनी नाराजगी जता सकें। चौधरी परिवार भले ही खुद की किनारे कर बैठ गया है, लेकिन दूसरी तरफ पूर्व सीएम चन्नी ने जालंधर की लोकसभा सीट पर सक्रियता बढ़ा दी है।
चन्नी ने जालंधर में अपना चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है। विधायक बावा हैनरी ने उनके सम्मान में समारोह का आयोजन किया और किशनपुरा में चन्नी ने मुस्लिम समुदाय के समारोह में शिरकत की। चन्नी कह रहे हैं कि हाईकमान को तय करना है, अभी उनको भी पता नहीं है कि वह किस सीट से उम्मीदवार बनाए जाएंगे। माना जा रहा है कि कांग्रेस की तरफ से चन्नी ही जालंधर सीट से सही च्वाइस साबित होंगे।
चौधरी परिवार की सियासत का आखिरी दौर!
दोआबा में दलितों के पितामाह कहलाने वाले मास्टर गुरबंता सिंह की राजनीतिक विरासत को चौधरी परिवार दशकों से आगे बढ़ाते आ रहा था। उनके परिवार से पूर्व मंत्री स्वर्गीय चौधरी जगजीत सिंह, पूर्व सांसद स्वर्गीय चौधरी संतोख सिंह, पूर्व विधायक सुरिंदर चौधरी और विधायक बिक्रमजीत सिहं चौधरी के नाम प्रमुख हैं। सांसद चौधरी संतोख सिंह के अचानक निधन के बाद दोआबा में चौधरी परिवार की सियासत पर पकड़ ढीली पड़ी है।
2023 उपचुनाव में कांग्रेस ने स्वर्गीय चौधरी संतोख सिंह की पत्नी कर्मजीत कौर को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह जीत नहीं पाईं। इस बार 2024 लोकसभा चुनाव में अब कांग्रेस चौधरी परिवार की वजाए पूर्व सीएम चन्नी को अपना उम्मीदवार बनाने की तैयारी में है। राजनीतिक माहिरों की मानें तो यह चौधरी परिवार की सियायत का आखिरी दौर साबित हो सकता है।
कर्मजीत कौर के भाजपा में जाने की चर्चा
पूर्व सीएम चन्नी को अगर कांग्रेस उम्मीदवार बनाती है तो इसका असर भी कांग्रेस को देखने को मिल सकता है। आप से लोकसभा उम्मीदवार सुशील रिंकू और आप के विधायक शीतल अंगुराल के भाजपा में जाने वाले दिन ही यह चर्चा थी कि चौधरी परिवार से भी लोग भाजपा में शामिल हो रहे हैं। अभी भी दावा किया जा रहा है कि अगर चन्नी को टिकट मिलती है तो मैडम कर्मजीत कौर भाजपा का दामन थाम सकती हैं। यह दोआबा की राजनीति में बड़ा फेरबदल साबित होगा।
शहीद परिवार से केपी नहीं संभाल पाए विरासत
पूर्व सांसद एडवोकेट मोहिंदर सिंह केपी अपने पिता की विरासत को बहुत लंबे समय तक चलाने में कामयाब नहीं रहे। एक समय था जब चौधरी परिवार के बाद दोआबा में अगर किसी की तूती बोलती थी तो वह शहीद दर्शन सिंह केपी परिवार की थी। इस परिवार को भी लोगों ने बहुत समर्थन दिया।
पिता के बाद मोहिंदर सिंह केपी और उनकी पत्नी विधायक रहे। फिर केपी को सांसद बनने का मौका भी मिला। इसके बाद कांग्रेस ने उनको जालंधर के बाहर भी विधायक और सांसद की टिकट पर चुनाव लड़ाया। वहां वह बुरी तरह नाकाम रहे। उनको दोआबा के दलितों ने नाकार दिया। अब केपी परिवार कांग्रेस में भी हाशिए पर है।
रिंकू में देखा जा रहा दलितों का मसीहा
कांग्रेस में चौधरी और केपी परिवार के बाद दलितों के राजनीतिक मसीहा के रूप में युवा नेता सुशील कुमार रिंकू को देखा जा रहा है। 2022 में विधानसभा चुनाव हरने के बाद उनको एक बार फिर से संजीवनी मिली। उनको आम आदमी पार्टी ने लोकसभा जालंधर से उपचुनाव में टिकट दी और वह जीतकर सांसद बने। अब वह जालंधर के विकास का दावा करते हुए आप को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाजपा उनको जालंधर से अपना उम्मीदवार बनाएगी। अब रिंकू के पास मौका है कि वह भाजपा में जीत का परचम फहराए और कांग्रेस के गढ़ को तोड़कर दलित मसीहे के रूप में उभरें।
उम्मीदवार बनाए जाने पर क्या बोले चन्नी
जालंधर के किशनपुरा में एक समारोह में भाग लेने पहुंचे चरणजीत सिंह चन्नी से पूछा जाने पर उन्होंने कहा कि उनको कहां से उम्मीदवार बनाया जाना यह फैसला पार्टी हाईकमान को करना है। उनका नाम सिर्फ जालंधर के लिए ही नहीं बल्कि होशियारपुर और श्री आनंदपुरा साहिब से भी कहा जा रहा है। इतना ही नहीं श्री गंगानगर से भी उनको उम्मीदवार बनाए जाने की मांग उठ रही है। चन्नी भले ही जो मर्जी कहें, लेकिन उनका जालंधर में चुनावों में एक्टिव होना चौधरी और केपी परिवार के लिए खतरे की घंटी है।