वेब खबरिस्तान, यमुनानगर। छठ पूजा को पूरे विधि विधान एवं आस्था के साथ मनाते हैं। जिसके चलते पूजा को लेकर विशेष उत्साह श्रद्धालुओं में रहता है। छठ पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है। यह चार दिनों का त्योहार है और इसमें साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है। यमुना नहर के विभिन्न घाटों पर हजारों की संख्या में पहुंचे महिलाओं व पुरुषों ने छठ पूजा के महापर्व पर सोमवार सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर अपना निर्जला व्रत संपन्न किया। इस व्रत को करने के नियम इतने कठिन हैं, इस वजह से इसे महापर्व और महाव्रत के नाम से संबोधित किया जाता है।
जिला प्रशासन की और से सुरक्षा के रहे बेहतर इंतजाम
इस संबंध में जानकारी देते हुए पूर्वांचल सभा के पवन प्रताप सिंह ने बताया कि छठ पर्व का यह महाव्रत हमारे लिए सबसे बड़ा व्रत होता है। इस पर्व पर सभी श्रद्धालु अपने घर में ही पूजा अर्चना कर व्रत की शुरू करते हैं। रविवार शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर नहर के पानी में खड़े होकर पूजा अर्चना के बाद आज सुबह फिर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत विधिपूर्वक संपूर्ण किया है। गौरतलब है कि यमुनानगर में 5 लाख से अधिक पूर्वांचल से संबंधित लोग रहते हैं। जो इस इस त्योहार में गलती की कोई जगह नहीं होती। छठ पूजा को लेकर यमुना के घाटों पर सुरक्षा को लेकर, साफ सफाई और बिजली व्यवस्था के जिला प्रशासन की और से बेहतर इंतजाम रहे।