पंजाब-हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को पुलिस ने डिटेन किया है। पुलिस उनका मेडिकल डीएमसी अस्पताल में कराने के लिए पहुंची है। वहीं, अस्पताल को चारों तरफ से पुलिस ने घेर लिया है।
किसान नेता डल्लेवाल के साथ रहे किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने आरोप लगाया कि पुलिस सिर्फ उन्हें कुर्ते में उठा ले गई। उन्हें पजामा और गर्म कपड़े तक नहीं पहनने दिए। उन्होंने कहा कि जिस वक्त डल्लेवाल को पुलिस उठा ले गई उस वक्त वह रेस्ट कर रहे थे।
रात 2 बजे उठाया डल्लेवाल- पंधेर
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रधान सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि सोमवार रात करीब 2 बजे डल्लेवाल को खनौरी बॉर्डर से उठाया गया है। उन्हें कहां ले गए हैं, इसकी जानकारी नहीं है। जिन्होंने डल्लेवाल को उठाया है, उनमें कई पुलिसवाले हिंदी भाषा बोल रहे थे।
इसका परिणाम होगा बुरा
पंधेर ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों पर जुल्म कर रही है। डल्लेवाल को CM भगवंत मान की ज्यूरिडिक्शन से उठाया गया है, इसलिए पंजाब सरकार को किसानों के प्रति अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। बताना होगा कि उन्हें कहां ले गए हैं? अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
डल्लेवाल की जगह कोई बैठेगा मरणव्रत पर
कोहाड़ ने कहा कि मरणव्रत जरूर शुरू होगा। पहले भी डिसाइड था कि अगर जगजीत डल्लेवाल को कुछ होगा तो अगला किसान नेता मरणव्रत पर बैठेगा। अब अगर एक किसान नेता भूख हड़ताल पर नहीं बैठेगा तो अन्य किसान नेता उनकी जगह भूख हड़ताल पर बैठेंगे। जल्द ही किसान संगठन बैठक कर निर्णय लेंगे कि अब कौन मरणव्रत पर बैठेगा।
अनशन से प्रशासन था चिंता में- DIG
पटियाला रेंज के DIG मनदीप सिंह सिद्धू ने कहा कि डल्लेवाल ने मरणव्रत की घोषणा की थी। उनकी उम्र और सेहत की वजह से प्रशासन चिंता में था। मरणव्रत के ऐलान के बाद भीड़ हो जाती है, जिससे सेहत सुविधाएं नहीं पहुंच पाती। इसी वजह से प्रशासन ने फैसला किया कि उनकी मेडिकल जांच कराई जाए। इसके लिए उन्हें लुधियाना डीएमसी लेकर आए हैं। उन्होंन कहा कि डल्लेवाल को पंजाब पुलिस ही उठाकर लाई है।
4 नवंबर को डल्लेवाल ने किया था ऐलान
आपको बता दें कि डल्लेवाल ने 4 नवंबर को ऐलान किया था कि वह संसद का सेशन शुरू होते ही अनशन पर बैठेंगे। इसके बाद 6 दिसंबर को किसान दिल्ली कूच करेंगे। एक दिन पहले सोमवार को फीरदकोट जगजीत सिंह डल्लेवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि वह सिर पर कफन बांधकर आमरण अनशन पर बैठने जा रहे हैं। केंद्र सरकार को उनकी मांगें पूरी करनी होंगी या फिर वह अपनी जान कुर्बान कर देंगे। उनकी मौत से भी आंदोलन नहीं रुकेगा। मौत के बाद दूसरे नेता आमरण अनशन शुरू करेंगे।