चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर रविवार(17 मार्च) को कुछ नई जानकारियां शेयर की। ईसी ने अपनी वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड से जुड़ा नया डेटा जारी कर दिया है, जो व्यक्तियों की ओर से खरीदे गए और राजनीतिक दलों की ओर से भुनाए(Cash Out) गए हैं।
2019 में सबसे ज्यादा पैसे मिले
चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक, भाजपा ने कुल 6 हजार 986 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड कैश कराए हैं। पार्टी को 2019-20 में सबसे ज्यादा 2 हजार 555 करोड़ रुपए मिले हैं। कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड के जरिए कुल 1,334.35 करोड़ रुपये कैश करवाए है। जबकि चुनावी बॉन्ड के जरिए BJD को 944.5 करोड़ रुपए, YSR कांग्रेस को 442.8 करोड़ रुपए, TDP को 181.35 करोड़ रुपए का चंदा मिला।
ईसी डाटा के अनुसार, द्रमुक को चुनावी बॉण्ड के माध्यम से 656.5 करोड़ रुपये मिले, जिसमें सैंटियागो मार्टिन की अगुवाई वाली फ्यूचर गेमिंग से प्राप्त 509 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। वहीं चुनावी बॉण्ड के माध्यम से तृणमूल कांग्रेस को 1,397 करोड़ रुपये और बीआरएस को 1,322 करोड़ रुपये मिले।
निर्वाचन आयोग के आंकड़े के मुताबिक, समाजवादी पार्टी (सपा) को चुनावी बॉण्ड के जरिए 14.05 करोड़ रुपये, अकाली दल को 7.26 करोड़ रुपये, अन्नाद्रमुक को 6.05 करोड़ रुपये, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 50 लाख रुपये मिले। माना जा रहा है कि ये विवरण 12 अप्रैल, 2019 से पहले की अवधि से संबंधित हैं। आयोग ने पिछले हफ्ते उपरोक्त तारीख के बाद के चुनावी बॉन्ड से संबंधित विवरण को सार्वजनिक किया था।
आयोग ने एक बयान में कहा कि राजनीतिक दलों ने उच्चतम न्यायालय के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के अनुसार सीलबंद लिफाफे में चुनावी बॉन्ड से संबंधित डेटा दाखिल किया था। आयोग ने कहा राजनीतिक दलों से प्राप्त डेटा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में जमा किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है रोक
15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- यह स्कीम असंवैधानिक है। बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, देश के अलग अलग राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के तौर पर इतनी राशि मिली
- भाजपा ने कुल 6,986.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाए, पार्टी को 2019-20 में सबसे ज्यादा 2,555 करोड़ रुपये मिले।
- कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड के जरिए कुल 1,334.35 करोड़ रुपये भुनाए।
- बीजद ने 944.5 करोड़ रुपये, वाईएसआर कांग्रेस ने 442.8 करोड़ रुपये, तेदेपा ने 181.35 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाए।
- चुनावी बॉन्ड के माध्यम से तृणमूल कांग्रेस को 1,397 करोड़ रुपये मिले।
- बीआरएस ने 1,322 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाए।
- द्रमुक को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 656.5 करोड़ रुपये मिले, जिसमें सैंटियागो मार्टिन की अगुवाई वाली फ्यूचर गेमिंग से प्राप्त 509 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
- सपा को चुनावी बॉन्ड के जरिए 14.05 करोड़ रुपये, अकाली दल को 7.26 करोड़ रुपये, अन्नाद्रमुक को 6.05 करोड़ रुपये, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 50 लाख रुपये मिले।
बीते गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदने वाली प्रमुख कंपनियों का ब्योरा इस प्रकार है...
- फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज - 1,368 करोड़ रुपये
- मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड - 966 करोड़ रुपये
- क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड - 410 करोड़ रुपये
- वेदांता लिमिटेड - 400 करोड़ रुपये
- हल्दिया एनर्जी लिमिटेड - 377 करोड़ रुपये
- भारती ग्रुप - 247 करोड़ रुपये
- एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड - 224 करोड़ रुपये
- वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन - 220 करोड़ रुपये
- केवेंटर फूडपार्क इन्फ्रा लिमिटेड - 194 करोड़ रुपये
- मदनलाल लिमिटेड - 185 करोड़ रुपये
- डीएलएफ ग्रुप - 170 करोड़ रुपये
- यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल - 162 करोड़ रुपये
- उत्कल एल्यूमिना इंटरनेशनल - 145.3 करोड़ रुपये
- जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड - 123 करोड़ रुपये
- बिड़ला कार्बन इंडिया - 105 करोड़ रुपये
- रूंगटा संस - 100 करोड़ रुपये
- डॉ रेड्डीज - 80 करोड़ रुपये
- पीरामल एंटरप्राइजेज ग्रुप - 60 करोड़ रुपये
- नवयुग इंजीनियरिंग - 55 करोड़ रुपये
क्या है पूरा मामला?
पिछले महीने 15 फ़रवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने SBI को निर्देश दिया था कि छह मार्च 2024 तक बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को सौंप दे। SBI इलेक्टोरल बॉन्ड बेचने वाला अकेला अधिकृत बैंक है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में अप्रैल 2019 से लेकर अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉंड का डेटा देने के लिए कहा गया था।
हालांकि, 6 मार्च आने से पहले ही SBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर के जानकारी देने की 30 जून तक का समय मांग लिया था। 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने SBI की याचिका ठुकरा दी और कहा कि 12 मार्च तक चुनाव आयोग को डेटा सौंप दे। कोर्ट ने चुनाव आयोग से 15 मार्च की शाम पांच बजे तक सारी जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए भी कहा था।
इलेक्टोरल बॉन्ड क्या हैं
राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए इलेक्टोरल बॉंड एक जरिया है। जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से ख़रीद सकता है और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीक़े से दान कर सकता है। ये योजना मोदी सरकार ने ही 2017 में शुरू की थी। योजना को सरकार ने 29 जनवरी 2018 को क़ानूनन लागू कर दिया था।
भारत सरकार ने इस योजना की शुरुआत करते हुए कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड देश में राजनीतिक फ़ंडिंग की व्यवस्था को साफ़ कर देगा। बीजेपी पर आऱोप है कि उसने ये योजना बड़े कॉर्पोरेट घरानों को उनकी पहचान बताए बिना पैसे दान करने में मदद करने के लिए बनाई थी।