नवरात्रि का पर्व चल रहा है। नवरात्रि का त्योहार महाअष्टमी और नवमी पूजा के साथ समाप्त हो जाता है। नवरात्र के आठवे दिन, मां दुर्गा के आठवे स्वरूप महागौरी को पूजा जाता है। वहीं, 9वे दिन महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन दोनों तिथियों पर, लोग मां दुर्गा के इन दोनों अवतारों की पूजा करते हैं और छोटी बच्चियों को प्रसाद देते हैं, जिसे कंजक कहा जाता है। बता दें कि कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन कन्या रूपी देवी की पूजा की जाती है और काले चने, रवा का हलवा और पुड़ी का भोग लगाया जाता है। नौवें दिन हर घर में काले चने बनाए जाते हैं और कन्या को खिलाया जाता है। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि इस परंपरा के पीछे क्या कारण है? नवरात्रि पर काले चने बनाने की परंपरा का अपना एक महत्व है जो हमारे स्वास्थ्य और शक्ति के लिए बहुत फायदेमंद है। आपको बताते हैं कि नवरात्रि में काले चने क्यों खाए जाते हैं और ये सेहत के लिए किस तरह से लाभकारी हैं।
कन्या पूजन की पौराणिक मान्यता
देवी भागवत पुराण के अनुसार, यह माना जाता है कि इस दिन पूजा की जाने वाली युवा लड़कियां देवी दुर्गा के रूप होती हैं। यही कारण है कि 9 लड़कियों के साथ एक लड़के (जिसे लंगूर कहा जाता है) की पूजा की जाती है और भोजन दिया जाता है, जिसे कंजक पूजा या कन्या पूजन भी कहा जाता है। परंपरा के अनुसार, कंजक पूजा 2-10 साल की उम्र की छोटी लड़कियों के पैर धोने से शुरू होती है। इसके बाद, उनके माथे पर कुमकुम और अक्षत (चावल) का तिलक लगाया जाता है और उनके हाथों में एक कलावा बांधा जाता है। उसके बाद, उन्हें नारियल से बना प्रसाद दिया जाता है, उसके बाद पूरी, हलवा और सुखा काला चना दिया जाता है। पूजा के अंत में, उन्हें धन, आभूषण, कपड़े, खिलौने आदि के रूप में उपहार भी दिए जाते हैं। अंत में, भक्त उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद मांगते हैं, और उनके जाने के बाद, भक्त बचे हुए भोजन से उपवास तोड़ते हैं।
कंजक प्रसाद के फायदे
पौराणिक कथाओं के विशेषज्ञों के अनुसार, सभी प्रसाद (पूरी, चना और हलवा) देसी घी में बनाए जाते हैं और स्वस्थ माने जाते हैं। पोषण के दृष्टिकोण से, चना और सूजी आहार फाइबर से भरपूर होते हैं और जिससे रक्त शर्करा का स्तर बेहतर होता है। वे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखने और संतुलित करने में भी मदद करते हैं और इस तरह हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि काले चने में सैपोनिन भी होता है, जो शरीर में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने और फैलने से रोकता है। इसमें सैलेनियम भी होता है, जो कैंसर पैदा करने वाले यौगिकों को डिटॉक्सीफाई करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दूसरी तरफ, सूजी दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है और वज़न कम करने में मददगार होता है।
न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार, 7-8 दिनों तक सात्विक खाने का पालन करने के बाद पूरी, हलवा और चना शरीर को ज़रूरी पोषण देते हैं, जिससे पाचनक्रिया में संतुलन बना रहता है।
क्यों बनाया जाता है काला चना?
कन्या पूजन में काले चने को देवी को समर्पित किया जाता है। ये शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। यह शुद्ध और सात्विक भोजन माना जाता है, इसलिए देवी को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। नवरात्रि में देवी से शक्ति प्राप्त करने की कामना के लिए इसका सेवन किया जाता है। काले चने में आयरन, प्रोटीन व फाइबर होता है जो भूख कम करता है और उपवास के दौरान ऊर्जा देता है। जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। नवरात्रि के दौरान व्रत रखने से कमजोरी आती है, चने खाने से ऊर्जा मिलती है। यह आयरन से भरपूर होता है जो एनीमिया जैसी समस्याओं से लड़ने में मदद करता है। काले चने न केवल स्वादिष्ट और सात्विक भोजन हैं बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। नौ दिन के उपवास के बाद इसको खानें से नवरात्रि में स्वास्थ्य को बहुत ही फायदे मिलते हैं।
क्या है बनाने की विधि, जानें
सामग्री:
1 कप काले चने
2 कप पानी
1/2 टी स्पून सोडा
1 टी स्पून नमक
2 टेबल स्पून तेल
1/2 जीरा पाउडर , काली मिर्च
विधि:
- सबसे पहले काले चने को अच्छी तरह धो लें। फिर उन्हें पानी में 8-10 घंटे के लिए भिगो दें।
- अब भिगोए हुए चने एक पैन में डालें और उन में पानी डालकर उबाल लें। इसके साथ ही थोड़ा सोडा और नमक डाल दें।
- जब चने नरम हो जाए तो उसे एक बर्तन में निकाल लें।
- अब एक पैन में तेल गर्म करके उसमें चने डालें और हल्का सा भून लें।
- उसके बाद चने में थोड़ा मसाला जीरा, काली मिर्च उपर से कटी हुई हरी धनिया आदि।
- अब आप इसको माता रानी को भोग लगाएं उसके बाद आप इसे कन्या को खिला सकती है।