Canada सरकार ने स्टूडेंट्स के वर्क परमिट बढ़ाने पर रोक लगा दी है। नए साल के बाद से वर्क परमिट नहीं बढ़ाया जाएगा। यह फैसला कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लिया है, जिस कारण 23 लाख स्टूडेंट्स प्रभावित होंगे।
14 लाख स्टूडेंट्स कर रहें हैं वर्क परमिट पर काम
आपको बता दें कि इस समय कनाडा में 14 लाख स्टूडेंट्स पोस्ट ग्रेजुएट वर्क परमिट पर काम रहे हैं। ट्रूडो सरकार के इस फैसले के कारण इन स्टूडेंट्स को अपने देश वापिस जाना पड़ सकता है। क्योंकि स्टूडेंट्स वर्क परमिट पर काम करके अपने कॉलेज की फीस देते हैं।
पंजाब के 5 लाख स्टूडेंट्स होंगे प्रभावित
ट्रूडो सरकार के इस फैसले से पंजाब के स्टूडेंट्स सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। क्योंके कनाडा में अकेले पंजाब से ही 5 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स पोस्ट ग्रेजुएट वर्क परमिट पर काम करते हैं। जिससे वह अपनी कॉलेज की फीस और घर के रेंट आदि बिल भरते हैं।
नया वर्क परमिट नहीं मिलेगा
इस बीच स्टूडेंट्स ने दो साल के स्टडी वीजा वाले स्टूडेंट्स के लिए पांच साल और एक साल के स्टडी प्रोग्राम के लिए आए स्टूडेंट्स के लिए दो साल का वर्क परमिट जारी करने की मांग की है। जिनके परमिट 1 जनवरी, 2024 को पूरे हो जाएंगे, उनको नया वर्क परमिट नहीं मिलेगा। हालांकि जिनका PG वर्क परमिट 31 दिसंबर, 2023 को पूरा हो रहा है, वे जारी एक्सटेंशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
14 लाख में 3 लाख लोग कर चुके हैं PR के लिए अप्लाई
बता दें कि कनाडा में इस समय 9.5 लाख इंटरनेशनल के पास स्टडी परमिट है और करीब 14 लाख के पास वर्क परमिट है। 14 लाख वर्क परमिट वाले स्टूडेंट्स में से अभी तक 3 लाख आवेदकों ने ही कनाडा में PR के लिए अप्लाई किया है।
कनाडा में कम हो रही है इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की संख्या
2017 के बाद दो साल के स्टडी परमिट वाले स्टूडेंट्स को 4.5 साल का वर्क परमिट दिया जाना लगा, जिसमें 18-18 महीने की तीन एक्सटेंशन शामिल हैं। इसके अलावा भारत से कनेडियन यूनिवर्सिटी में आवेदन करने वाले इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की संख्या कम हो रही है, कनाडा एक और कानून पेश कर रहा है जो संभावित रूप से स्टूडेंट्स को देश में आवेदन करने से रोक सकता है।
हाल ही में बढ़ाई थी GIC फीस
इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए फाइनेंशियल जरूरतों को दोगुना कर दिया है। $10,000 GIC फीस को बढ़ा कर अब $20,635 कर दिया गया है जोकि 1 जनवरी 2024 से लागू है। यह परिवर्तन देश में रहने की लागत के बारे में स्टूडेंट्स की अपेक्षाओं को प्रबंधित करने के लिए किया गया था।