पूरे फेस का एक तरफ का हिस्सा लटका हुआ हो, हंसना भी एक तरफ से हो रहा हो तो आपको चेहरे का लकवा हो सकता है। दरअसल सर्दी में बेल्स पाल्सी प्रॉब्लम हो सकती हैं। बेल्स पाल्सी को फेशियल पैरालिसिस यानि साधरण शब्दों में ‘चेहरे का लकवा’ कहा जा सकता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें चेहरे की मांसपेशियों में सिकुड़न आने लगती हैं वहीं ये बीमारी सिर्फ फैस पर ही होती है। बता दें ज्यादातर मामलों में बेल्स पाल्सी अस्थाई होती है, जो लगभग 6 महीने में ठीक हो जाती है। आईये इसके बारे में आपको और विस्तार से जानकारी देते हैं की आखिर ये होती ही क्यों है।
बेल्स पाल्सी क्या है
बेल्स पाल्सी एक ऐसी स्थिति होती है जिससे चेहरे की मांसपेशियों में बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है और वह सिकुड़ने लगती हैं। इस बीमारी में चेहरे का एक तरफ का हिस्सा प्रभावित होता है यानि की फैस के एक तरफ का हिस्सा लटका हुआ दिखाई देता है। साथ ही इसकी वजह से आप एक ही तरफ से हंस पाते हैं। एक ही आंख से देख पाते हैं और तो और यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। वहीं यह चेहरे के एक तरफ की मांसपेशियों को कंट्रोल करने वाली नसों में सूजन आने के कारण हो सकती है।
फेशियल पैरालिसिस के कारण हैं
बेल्स पाल्सी तब होती है जब सांतवी कपाल तंत्रिका सूज जाती है, जिससे चेहरे पर कमजोरी महसूस होती है। यदि चेहरे की नस में सूजन आ गई है, तो यह चीकबोन्स पर आकर दब जाएगी। यह तंत्रिका की प्रोटेक्टिव कवरिंग को नुकसान पहुंचाती है। यदि यह कवरिंग डैमज हो जाए, तो मस्तिष्क से चेहरे की मांसपेशियों तक जाने वाले संकेत ठीक से संचरित नहीं हो पाते। जिससे चेहरे की मांसपेशियों में लकवा मार जाता है।
बेल्स पाल्सी में होने वाले लक्षण
- मुंह से लार टपकना
- चेहरे की प्रभावित साइड के जबड़े के आसपास या कान के पीछे दर्द महसूस होना
- प्रभावित साइड के कान से सुनाई देने में प्रॉबलम होना
- स्वाद महसूस करने की क्षमता कम होना
- आंसू और लार बनने में बदलाव आना
- फैस के एक तरफ मसल्स में थोड़ी कमजोरी महसूस होना
- चेहरा लटकने से चेहरे के एक्सप्रेशन करने में प्रॉबलम आना
- आंख बंद करने और मुस्कुराने में दिक्कत होना
इसका इलाज क्या है
बेल्स पाल्सी की प्रॉबलम को ठीक करने के लिए फिजियोथेरेपी से चेहरे की मालिश और एक्सरसाइज करवाई जाती है। वहीं एक्यूपंक्चर से भी इलाज किया जा सकता है। एक्सपर्ट्स इसे कण्ट्रोल करने के लिए कई दवाईंया भी देते हैं। वहीँ कई बार डॉक्टर्स मरीज को आराम न आने पर सर्जरी का ऑप्शन भी देते हैं।