जालंधर: जनता की ओर से चुने गए नए पार्षदों का इस तरह पार्टियां बदलना वार्ड वासियों के दिलों में ठेस पहुंचाने वाला काम है। सामाजिक कार्यकर्ता संजय सहगल के द्वारा पंजाब चुनाव कमिशन को अपील की गई कि जैसे सांसद सदस्य एवं विधायकों पर दल बदल विरोधी कानून लागू होता है कि अगर कोई सांसद या विधायक पार्टी बदलता है, तो उसकी सदस्यता रद हो जाती है, ठीक उसी तरह इन पार्षदों पर भी कानून लागू होना चाहिए। यदि कोई पार्षद पार्टी बदलता है, तो उसकी सदस्यता नगर निगम में रद होनी चाहिए क्योंकि पार्षदों के पार्टी बदलने से वार्ड वासियों में इस बात का रोष पाया जाता है और वह ठगा सा महसूस करते हैं।
दल बदलने वाले लोगों पर होना चाहिए एक्शन
सामाजिक नेता संजय सहगल ने कहा कि मौजूदा पंजाब म्यूनिसिपल एक्ट 1976 में संशोधन किया जाना चाहिए ताकि दल बदल के लिए अयोग्यता का प्रावधान शामिल हो सके। जन शिकायतों की सुनवाई एवं निवारण के लिए नगर निगम में लोकपाल की नियुक्ति तथा दल-बदल के लिए अयोग्यता से संबंधित संशोधन किया जाना चाहिए इसकी सार्वजनिक रूप से आम नागरिक व मतदाताओं द्वारा सराहना की जायेगी।
कानून के तहत होगी कार्रवाई
दलबदल कानून के लिए अयोग्यता वास्तव में महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर मतदाताओं ने किसी पार्टी के नाम पर वोट दिया है, तो उसे उसी पार्टी के साथ रहना होगा। यदि वर्तमान स्थिति या भविष्य में नगर निगम की बेहतरी के लिए दलबदल कानून में बदलाव किया जाता है यह सबसे महत्वपूर्ण कदम होगा।नगर निगम को दल-बदल विरोधी कानून के तहत लाया जाना जाए ताकि अवसरवादी प्रवासी पक्षी जनता द्वारा दिए गए जनादेश का मजाक ना बन पाए। सामाजिक कार्यकर्ता संजय सहगल ने कहा कि दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधानों को स्थानीय निकायों पर लागू करने के लिए संविधान की अनुसूची 10 के प्रासंगिक प्रावधानों में संशोधन जरुर करना चाहिए। स्थानीय निकाय चुनाव जमीनी स्तर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जहां इस कानून की उतनी ही जरुरत है जितनी विधानसभाओं और संसद जैसे लोकतंत्र में स्थानीय निकायों में दलबदल विरोधी कानून में संशोधन के लिए डीसी जालंधर के माध्यम से राज्य चुनाव आयोग पंजाब को ज्ञापन भी दिया जाएगा।