will take away Sheikh Hasina from India if she is not returned quietly : बांग्लादेश में तख्ता पलट के करीब चार महीने बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना को लेकर भारत सरकार को सीधी चेतावनी दी है। देश की अंतरिम सरकार की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग की। यूनुस के विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने कहा है कि भारत को तुरंत शेख हसीना को हमें वापस कर देना चाहिए नहीं फिर दोनों देशों के रिश्ते और बिगड़ जाएंगे। इसके उलट भारत की योजना बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को नपे-तुले अंदाज में जवाब देने की है। हालांकि, प्रत्यर्पण संबंधी आग्रह को भारत गंभीरता से नहीं लेगा। भारत अब मान कर चुका है कि कनाडा की तरह बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के रहते द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर लाने के सारे प्रयास किसी सकारात्मक नतीजे में नहीं बदलेंगे।
प्रत्यर्पण अपील ठुकराने के वैध कारण मौजूद
दोनों देशों के बीच 2016 में हुई प्रत्यर्पण संधि में तय किए गए प्रावधानों में राजनीतिक कारणों से लगे आरोपों से जुड़े मामले में प्रत्यर्पण का आग्रह अस्वीकार करने का अधिकार है। बांग्लादेश के हसीना के प्रत्यर्पण के लिए राजनयिक नोट (नोट वर्बल) भेजने पर सरकारी सूत्र ने कहा कि पूर्व पीएम के प्रत्यर्पण का तो कोई सवाल ही नहीं है। हां, अंतरिम सरकार के इस नकारात्मक रुख से द्विपक्षीय संबंधों में आई कटुता और बढ़ेगी। इस अनुरोध के बाद यह साफ हो गया है कि द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर लाने की भारत की कोशिशों को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अपने खास मकसद की पूर्ति के लिए स्वीकार नहीं कर रही।
प्रत्यर्पण आग्रह को किया जा सकता है खारिज
2016 में दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि में कई प्रावधान हैं। इनमें से एक प्रावधान कहता है कि जिसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है, उस पर लगे आरोप यदि न्यायिक प्रक्रिया के हित में और सद्भावना के तहत नहीं हैं तो अनुरोध खारिज हो सकता है। संधि के मुताबिक, प्रत्यर्पण से जुड़ा मसला सियासी मकसद से जुड़ा न हो। हसीना के खिलाफ ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध प्राधिकरण ने मानवता विरोधी अपराध व जनसंहार केस में वारंट दिया है। जिन हालात में उन्हें देश छोड़ना पड़ा है, उसका हवाला देते हुए भारत इसे सियासी मामला बताते हुए प्रत्यर्पण का अनुरोध खारिज कर सकता है।
प्रत्यर्पण पर तत्काल जवाब देने से बचेगा भारत
सूत्र ने कहा, प्रत्यर्पण का आग्रह खारिज करना अंतिम विकल्प है। चूंकि प्रत्यर्पण संधि में अनुरोध मिलने के बाद उस पर अमल की कोई निश्चित समय सीमा नहीं है। ऐसे में भारत लंबे समय तक इस मामले को लटका सकता है। भारत बांग्लादेश को तत्काल जवाब देने के बदले इसी रास्ते को अपनाएगा। यदि हसीना किसी अन्य देश में चली गई तो विवाद खत्म हो जाएगा। भारत को लगता था कि शेख हसीना के प्रत्यर्पण के मामले में बांग्लादेश जल्दबाजी नहीं करेगा। वह भी तब जब वह अपने देश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले में वैश्विक मंच पर बुरी तरह से घिरा हुआ है। ऐसे में दोनों देशों के संबंध और बिगड़ सकते हैं।
प्रत्यर्पण संधि में समय सीमा का उल्लेख नहीं
जहां तक दोनों देशों के बीच 2016 में हुई प्रत्यर्पण संधि का सवाल है तो भारत के पास इसमें शामिल किए गए कई प्रावधानों का सहारा लेकर बांग्लादेश के अनुरोध को ठुकराने का अधिकार है। सूत्र ने कहा कि प्रत्यर्पण संधि में अनुरोध मिलने के बाद इसके अनुपालन के लिए कोई निश्चित समय सीमा का उल्लेख नहीं है। ऐसे में भारत अनुरोध का बिना जवाब दिए मामले को अनिश्चितकाल तक खींच सकता है। बता दें कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना पर हत्या, अपहरण और देशद्रोह समेत 225 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। भारत में शेख हसीना जो बयानबाजी कर रही हैं उससे दोनों देशों के रिश्तों को नुकसान हो रहा है।
विदेश मंत्री और गृह मंत्री ने दी ये प्रतिक्रिया
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा है कि हमने भारत सरकार को एक राजनयिक चिट्ठी भेज दी है। इस चिट्ठी में हमने कहा है कि बांग्लादेश की सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस लाना चाहती है, जिससे वो यहां पर कानून का सामना कर सकें। वहीं, बांग्लादेश के गृह मंत्री जहांगीर आलम चौधरी ने भी शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच अपराधियों की अदला-बदली को लेकर पहले से एक समझौता है। इस समझौते के तहत हम हसीना को वापस बांग्लादेश लाना चाहते हैं।
अभी भारत में हैं हसीना : मीडिया रिपोर्ट्स
मालूम हो कि बांग्लादेश में कुछ महीने पहले आरक्षण के विरोध में एक देशव्यापी हिंसक आंदोलन हुआ था। यह आंदोलन अपने आखिरी वक्त में इतना ज्यादा उग्र हो गया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना पद छोड़कर भारत भागना पड़ा। हसीना अपनी बहन के साथ भारत के गाजियाबाद आ गई थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह नई दिल्ली में एक सेफ हाउस में रही हैं। उधर बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। यह सरकार फिलहाल देश की बागडोर संभाल रही है।