पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की धार्मिक सजा पूरी हो गई है। ऐसे में वह अमृतसर में श्री हरमिंदर साहिब में स्थित अकाल तख्त साहिब में पहुंचे। उनके साथ इस दौरान कई अकाली दल के नेता भी मौजूद थे। 10 दिन की धार्मिक सजा पूरी होन के बाद अकाली नेता अमृतसर साहिब में पहुंचे और वहां जाकर उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब माथा टेककर अपनी सजा पूरी की।
अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने दिया बयान
इसी बीच अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि हमने श्री अकाल तख्त साहिब के द्वारा दिए गए आदेशों को स्वीकार करके अपनी सेवा पूरी कर दी हैं। मैं सेवा में उनके उत्साहपूर्ण योगदान के लिए संपूर्ण नेतृत्व को धन्वयाद देता हूं। इस दौरान विरसा सिंह वल्टोहा के सवाल का दलजीत सिंह चीमा ने कोई भी जवाब नहीं दिया।
दो-दो दिन की लगाई थी सेवा
सुखबीर बादल को जब सजा सुनाई गई तो उन्हें दो-दो दिन की सेवा दी गई थी जिसमें से पहले श्री दरबार साहिब में दो दिन की सेवा थी। इसमें उन्हें गुरुद्वारा के बाहर गेट पर सेवादार की ड्यूटी दी गई थी उसके बाद कीर्तन सुनना था और फिर जूठे बर्तन धोने थे और वहीं पर बाकी लीडर्स को इसके साथ-साथ टॉयलेट धोने की सेवा भी दी गई थी। इसके बाद सुखबीर को श्री केसरगढ़ साहिब फिर श्री दमदमा साहिब और आखिर में मुक्तसर साहिब में उन्हें सेवा करनी थी।
सुखबीर सिंह बादल पर हुआ था हमला
जब पूर्व डिप्टी सीएम ने सेवा शुरु की तो उन पर जानलेवा हमला भी हुआ था जिसमें सुखबीर बादल बाल-बाल बचे थे। इसके बाद उनकी सुरक्षा को लेकर कई सवाल भी खड़े हुए थे और बिक्रम सिंह मजीठिया ने सुखबीर बादल की सुरक्षा में हुई चुकी को लेकर सीसीटीवी वीडियो सार्वजनिक कर दी थी जिसमें यह दिखा था कि उनकी सुरक्षा में भारी चूक हुई है हालांकि सुखबीर बादल के अंगरक्षक और अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने हमले को नाकाम भी कर दिया था। हमलावर की पहचान नारायण सिंह चौड़ा के तौर पर हुई थी जो कई बार पाकिस्तान भी जा चुका है और वहां पर हथियार चलाने के लिए ट्रेनिंग और पंजाब को दहलाने की कोशिश कर चुका है।
इस्तीफे पर किया जाएगा विचार
अब शिरोमणी अकाली दल के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि वो अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सुखबीर बादल द्वारा दिए गए इस्तीफे को मंजूर करें। इस इस्तीफे को अभी पार्लियामेंट्री बोर्ड ने मंजूर नहीं किया है। वहीं इसमें कानूनी तर्क भी दिया जा रहा है कि यदि वो अकाल तख्त साहिब का हुकुम मानेंगे तो भारतीय चुनाव आयोग शिरोमणी अकाली दल की मान्यता को खत्म कर देगा और उनका चुनाव चिन्ह भी छिन लेगा।
चर्चा यह चल रही है कि शिरोमणी अकाली दल जल्दी अपनी बैठक बुलाकर सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार कर सकता है। इसके साथ ही चुनावी दल की भर्ती भी शुरु हो जाएगी।