लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन न करने के बाद शिरोमणि अकाली दल पार्टी में ठीक नहीं चल रहा है। अब विधायक मनप्रीत अयाली ने पार्टी से दूरी बनाने का फैसला किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर इसकी जानकारी दी है।
पार्टी के सिद्धांत में बड़ी गिरावट
मनप्रीत अयाली ने पोस्ट करते हुए लिखा कि झूंदा कमेटी की रिपोर्ट लागू होने तक वह पार्टी गतिविधियों से दूर रहेंगे। शिरोमणि अकाली दल पंथ और पंजाब की अगुवाई करने वाली संगठन है। पर पिछले कुछ समय से पार्टी के नेताओं की तरफ से लिए गए फैसलों के कारण अकाली में सिद्धांत के तौर पर बड़ी गिरावट देखने को मिली है।
पार्टी किसानी और पंथक सोच को पहचानने में असफल रही
अयाली ने आगे लिखा कि पहले पार्टी किसानी और अब पंजाब के अंदर मौजूदा चल रही पंथक सोच को भी पहचानने में असफल रही है। किसानी, पंथ और पंजाबियों का भरोसा हासिल करने के लिए पार्टी को कड़े फैसले लेने की जरुरत है। ताकि जमीनी स्तर पर पार्टी को और भी मजबूत किया जा सके।
गठबंधन करते तो शायद जीत जाते - चंदूमाजरा
वहीं श्री आनंदपुर साहिब से अकाली उम्मीदवार रहे प्रेम सिंह चंदूमाजरा का कहना है कि पार्टी अपना राष्ट्रीय एजेंडा सेट नहीं कर पाई। अकाली दल की हार का सबसे बड़ा कारण किसी से गठबंधन न करना है। अगर हम गठबंधन कर लेते तो शायद जीत जाते।
लोकसभा चुनाव में बेहद खराब रहा प्रदर्शन
लोकसभा चुनाव में अकाली दल का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। पंजाब की 13 सीटों में से 10 सीटों पर अकाली दल के उम्मीदवार अपनी जमानत भी बचाने में कामयाब नहीं हो पाए। डॉ. दलजीत चीमा गुरदासपुर से, विरसा सिंह वल्टोहा खडूर साहिब से, मोहिंदर केपी जालंधर से, सोहन सिंह ठंडल होशियारपुर से, प्रेम सिंह चंदूमाजरा आनंदपुर साहिब से, रणजीत सिंह ढिल्लों लुधियाना से, बिक्रमजीत सिंह खालसा फतेहगढ़ साहिब से, राजविंदर कौर फरीदकोट से, इकबाल झुंदा संगरुर से और एनके शर्मा पटियाला से अपनी जमानत जब्त होने से बचा नहीं पाए।