अब टोल प्लाजा पर लंबी कतारों में इंतजार करने की जरूरत नहीं होगी। सरकार ने फास्टैग के बाद एक और नया सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है, जिसे सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम कहा जा रहा है। इस तकनीक में आपको केवल गाड़ी चलानी है और टोल अपने आप कट जाएगा। अब फास्टैग स्कैन करने की जरूरत नहीं रहेगी, क्योंकि सैटेलाइट गाड़ी की पहचान करके टोल शुल्क को सीधे काट लेगा।
सैटेलाइट सिस्टम के साथ चलेगा फास्टैग
हालांकि, सरकार फास्टैग को अभी पूरी तरह खत्म नहीं करेगी। शुरुआत में फास्टैग और सैटेलाइट बेस्ड सिस्टम दोनों एक साथ चलेंगे। धीरे-धीरे पूरा टोल सिस्टम सैटेलाइट पर आधारित हो जाएगा। इस नई पहल का फैसला रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे मंत्रालय ने लिया है।
नियमों में बदलाव
दरअसल, सरकार ने नेशनल हाइवे फीस नियम 2008 में संशोधन किया है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन को भी शामिल कर लिया गया है। यह फैसला सैटेलाइट टोल कलेक्शन सिस्टम की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे टोल कलेक्शन प्रक्रिया को और आसान और सुविधाजनक बनाया जा सके।
ऐसे काम करेगा सैटेलाइट सिस्टम
इस सिस्टम में टोल प्लाजा पर गाड़ियों को रोकने की जरूरत नहीं होगी। आपकी कार या गाड़ी में लगे टूल के जरिए सैटेलाइट खुद ही टोल की रकम काट लेगा। लोकेशन आधारित यह सिस्टम पूरी तरह से ऑटोमैटिक होगी, जिसमें टोल टै्कस उस लोकेशन के आधार पर कटेगा, जहां से आप गुजरेंगे।
अगले साल अप्रैल 2025 से होगा शुरू
सैटेलाइट सिस्टम बेस्ड टोल अप्रैल-जून के 2025 तक शुरू होगा, जो केवल 2 हजार किलोमीटर तक कवर करेगा। इसके बाद इसे धीरे-धीरे कर बढ़ाया जा जाएगा। कहा जा रहा है कि सिस्टम का का लाभ भले ही सीमित हो, लेकिन लंबे समय के लिए काफी बेहतर साबित होगा।