बांझपन यानि इनफर्टिलिटी जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है। वहीँ लोगों में बांझपन के लक्षणों का अनुभव होना असामान्य नहीं है। यह तनावपूर्ण भी हो सकता है, क्योंकि कई लोगों में तब तक बांझपन का कोई प्रत्यक्ष लक्षण देखने को नही मिलता जब तक वे फॅमिली प्लानिंग करने की कोशिश नहीं करते।
दरअसल आज नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (NIMA) वूमेन फोरम जालंधर की ओर से स्थानीय होटल में मंथली मीटिंग का आयोजन किया गया। इस मीटिंग में चावला नर्सिंग होम के डॉक्टर अनुपमा (स्त्री एवं प्रजनन विशेषज्ञ) और डॉक्टर दीपक चावला(लेप्रोस्कोपिक सर्जन )ने पुरुष बांझपन और एंडोमेट्रियोसिस के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के नये कांसेप्ट के बार में आये हुए डॉक्टर्स को जानकारी दी।
कार्यक्रम की शुरुआत नीमा वूमेन फोरम की प्रेसिडेंट डॉ. सुगंधा भाटिया ने आये हुए सभी डॉक्टर्स का स्वागत करके की।
मेल इनफर्टिलिटी कर सकती है फॅमिली को प्रभावित: डॉक्टर अनुपमा चोपड़ा
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डॉक्टर अनुपमा चोपड़ा ने कहा कि जिन मेल में हार्मोनल imbalance की वजह से शुक्राणु कम या निल होते हैं, वे लोग दवाई एवं injection के साथ Biological Father बनने का सुख प्राप्त कर सकते हैं।
वहीँ जब उनसे पूछा कि मेल इनफर्टिलिटी आखिर में है क्या, तो उन्होंने बताया कि पुरुषों में बांझपन का मुख्य लक्षण यौन-संबंध बनाने के बाद भी, महिला को गर्भवती करने में असक्षम होना है। उन्होंने बताया कि टेस्टिकल की नसों का फैल जाना या शुक्राणु नली का बंद यानि ब्लॉक हो जाना भी, टेस्टिकल और इसके आसपास की जगहों में दर्द, सूजन और गांठ का बन जाना अन्य लक्षण हैं।
बातचीत के दौरान उनसे पूछा गया कि बहुत से फॅमिली वाले इस बात को मानते ही नही है कि पुरूषों में भी बाँझपन हो सकता है। ऐसे में उन्होंने कहा कि यदि घर वाले इस बात को एक्सेप्ट कर लें तो समय रहते इसका इलाज संभव है। इसके अन्य लक्षण के बारे में बताते हुए कहा कि आजकल की लाइफ स्टाइल भी इसका बहुत बड़ा कारण बन रहा है।
वहीँ उन्होंने ये कहा कि gym में एक्सरसाइज करना अच्छी बात है लेकिन मसल्स को बढ़ाने के लिए जो प्रोटीन लिया जा रहा है वो इसका कारण बनता जा रहा है। उन्होंने ये भी बताया कि किसी महिला को गर्भवती करने के लिए पुरुष साथी में स्पर्म का अधिक मात्रा में उत्पादन होना बहुत जरूरी होता है। जब शुक्राणुओं का उत्पादन अधिक होता है, तो महिला को गर्भवती किया जा सकता है।
लेकिन अगर इंटरकोर्स के दौरान स्पर्म काउंट कम निकलता है, तो यह पुरुष बांझपन का एक मुख्य लक्षण हो सकता है। इसके अलावा शीघ्रपतन भी पुरुष बांझपन एक संकेत हो सकता है। इसलिए जरुरी है कि पुरूष भी अपनी जाँच जरूर करवाएं। सिर्फ महिला को ही दोष न दें।
एंडोमेट्रियोसिस से इनफर्टिलिटी हो सकती है: डॉक्टर दीपक चावला
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डॉक्टर दीपक चावला ने एंडोमेट्रियोसिस के लक्ष्ण और उसके निवारण के बारे में बताया। डॉक्टर दीपक चावला ने सेशन में कहा कि एंडोमेट्रियोसिस का इलाज भी संभव है यदि समय रहते इसका पता चल जाये।
उन्होंने बताया कि यंग गर्ल्स को भी ये दिक्कत सामने आती है जिसमे पीरियड्स के समय पर हद से ज्यादा दर्द होना इसका लक्षण हो सकता है। उन्होंने कहा कि एंडोमेट्रियोसिस प्रॉब्लम में यूटेरस की lining उसके बाहर तक बढ़ जाती है जिससे न सिर्फ़ pelvic muscles में दर्द होता है बल्कि प्रजनन में भी समस्या होती है।
कई बार बिना पीरियड्स के भी आप दर्द महसूस करती हैं। लगभग 10 प्रतिशत महिलाएं इस परेशानी से गुजरती हैं। इनमें से एक-तिहाई महिलाओं को प्रेगनेंट होने में परेशानी हो सकती है। उन्होंने कहा कि इसे बिलकुल भी इग्नोर न करें। वहीँ उन्होंने बात करते हुए बताया कि आधी से ज्यादा बांझ महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस बीमारी की वजह से ही बच्चा पैदा करने में असमर्थ होती हैं।
डॉक्टर रेनू बाला ने मीटिंग में(HOD दयानंद आयुर्वेदिक कॉलेज) ने बाँझपन के आयुर्वेदिक कांसेप्ट के बारे में भी बताया। इस मौके पर डॉक्टर मनुप्रिया (secretary) ने आये हुए अतिथिगण का वेलकम किया।
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डॉक्टर सुगन्धा ने आए हुए मुख्य वक्ता एवं डॉक्टर अनुपमा और डॉक्टर दीपक चावला का धन्यवाद किया और स्मृति चिन्ह भी दिया। इस मीटिंग में डॉक्टर सुनीता, रेणु, डॉक्टर दिव्या, डॉक्टर रितु बजाज, डॉक्टर कमलजीत कौर, डॉक्टर विनीता गोस्वामी, डॉक्टर तमन्ना, डॉक्टर विनीता चांदना, डॉक्टर रेनू बाला, डॉक्टर हरप्रीत, डॉक्टर निशिम उपस्थित थे।