उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज यानी 6 फरवरी को विशेष सत्र में समान नागरिक संहिता(UCC) संबंधी बिल पेश किया। इससे संबंधित ड्राफ्ट बीते दिनों यूसीसी कमेटी ने सीएम धामी को सौंपा था। आइए हम आपको उन सवालों के जवाब बताते हैं कि राज्य में यूसीसी लागू होने से क्या बदलेगा, क्या नहीं और इसका क्या असर होगा लोगों पर।
UCC बिल क्या हैं?
UCC का जिक्र पहली बार 1835 में ब्रिटिश काल में किया गया था। उस समय ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अपराधों, सबूतों और ठेके जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू करने की जरूरत है। संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है। लेकिन फिर भी भारत में अब तक इसे लागू नहीं किया जा सका। इसका कारण भारतीय संस्कृति की विविधता है।
यहां एक ही घर के सदस्य भी कई बार अलग-अलग रिवाजों को मानते हैं। आबादी के आधार पर हिंदू बहुसंख्यक हैं, लेकिन फिर भी अलग-अलग राज्यों में उनके रीति रिवाजों में काफी अंतर मिल जाएगा। सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और मुसलमान आदि तमाम धर्म के लोगों के अपने अलग कानून हैं। ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के कानून अपनेआप खत्म हो जाएंगे।
इन देशों में लागू है यूसीसी (Uniform Civil Code)
UCC को लेकर अगर दुनिया की बात करें, तो ऐसे तमाम देश हैं जहां ये लागू है। अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र जैसे तमाम देशों के नाम शामिल हैं। यूरोप के कई ऐसे देश हैं, जो एक धर्मनिरपेक्ष कानून को मानते हैं, वहीं इस्लामिक देशों में शरिया कानून को मानते हैं।
UCC से क्या बदलेगा?
- सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी
- पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार
- लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी
- लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा
- लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार
- महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं
- अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर
- बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं
- शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं
- उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक
UCC लागू तो क्या होगा
उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है। यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के समान कानून लागू होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों।
क्या असर पड़ेगा
विरोधियों ने तर्क दिया कि यूसीसी को लागू करने से धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता का उल्लंघन होगा, जिससे भारत के समाज की विविधता कम हो जाएगी।
उत्तराखंड में हकीकत बनेगा UCC
आपको बता दें कि समान नागरिक संहिता लागू करने से केवल उन व्यक्तिगत कानूनों पर असर पड़ेगा जो धर्म पर आधारित हैं यानी तलाक, विवाह, गोद लेने, विरासत आदि से संबंधित कानून।