This year, only 45 days of darshan of Baba Barfani : बाबा बर्फानी के भक्तों के लिए एक बड़ी खबर है। इस साल होने वाली अमरनाथ यात्रा का शेड्यूल जारी हो गया है। इस साल अमरनाथ यात्रा दो महीने की बजाए केवल 45 दिन की होगी। इस साल अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ 29 जून से होगा और इसका समापन 19 अगस्त को होगा। देश में आम चुनाव के चलते यात्रा समयावधि को घटाकर डेढ़ महीने किया गया है। अमरनाथ यात्रा का रजिस्ट्रेशन 15 अप्रैल से शुरू होगा। आइए आपको बाबा बर्फानी की खासियत और इसके रूट के बारे में बताते हैं।
अमरनाथ के शिवलिंग की खासियत
बाबा अमरनाथ की गुफा समुद्र तल से करीब 3,800 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। गुफा में मौजूद शिवलिंग की खासियत है कि ये खुद-ब-खुद बनता है। ऐसा कहा जाता है कि चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इसके शिवलिंग के आकार में बदलाव आता है। अमरनाथ का शिवलिंग ठोस बर्फ से निर्मित होता है, जबकि जिस गुफा में यह शिवलिंग मौजूद है, वहां बर्फ हिमकण के रूप में होती है।
देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं
हर साल सर्दी के मौसम में शिवलिंग आकार लेता है और देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इस शिवलिंग के दर्शन के लिए अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं। यात्रा से पहले यहां सरकार की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं। श्रद्धालुओं तक मदद पहुंचाने के लिए जगह-जगह पर मेडिकल और अन्य सुविधाओं के शिविर लगाए जाते हैं।
ऐसे बनता है अमरनाथ धाम का रूट
बाबा अमरनाथ धाम की यात्रा दो प्रमुख रास्तों से की जाती है। इसका पहला रास्ता पहलगाम से बनता है और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से। श्रद्धालुओं को यह रास्ता पैदल ही पार करना पड़ता है। पहलगाम से अमरनाथ की दूरी लगभग 28 किलोमीटर है। ये रास्ता थोड़ा आसान और सुविधाजनक है, जबकि बालटाल से अमरनाथ की दूरी तकरीबन 14 किलोमीटर है, लेकिन यह रास्ता पहले रूट की तुलना में कठिन है।