लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने की योजना अब पाकिस्तान सरकार ने खत्म कर दी है। साथ ही ना अब चौक पर भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इस योजना को लाहौर हाई कोर्ट (एलएचसी) में एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी की टिप्पणी के बाद खत्म कर दिया है। साथ ही पंजाब प्रांत की सरकार ने कहा है कि भगत सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं थे।
बल्कि आज की परिभाषा में आतंकवादी थे, इसके साथ ही पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने हाईकोर्ट को ये जानकारी दी है। पंजाब पाकिस्तान सरकार की तरफ से हाई कोर्ट में तीन तर्क दिए गए हैं। जिसके आधार पर उन्होंने अपनी योजना को रद्द करने के बारे में बताया है।
भगत सिंह को दिया झूठा सम्मान-पाकिस्तान
बता दें कि सरकार द्वारा बनाई कमेटी में शामिल कमोडोर सेवानिवृत तारिक मजीद की तरफ से यह जवाब दाखिल किया गया है। पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने लाहौर हाई कोर्ट को दिए अपने जवाब में कहा है कि एक एनजीओ भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक करने का मामला बना रहा है। यह झूठे प्रचार पर आधारित योजना है और इसे सफल नहीं होने दिया जाना चाहिए। भगत सिंह के चरित्र को एक महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी और शहीद के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। ये झूठा सम्मान है। इनमें से कोई भी उस पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं डाल सकता।
आजादी की लड़ाई में कोई भूमिका नहीं
भगत सिंह की आजादी की लड़ाई में कोई भूमिका नहीं थी। वह कोई क्रांतिकारी नहीं , बल्कि एक कम्युनिस्ट था - आज के संदर्भ में एक आतंकवादी, क्योंकि उसने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी थी और इसके लिए उसे और उसके साथियों को मौत की सजा सुनाई गई थी। वह एक अपराधी था। इस अपराधी को शहीद कहना इस्लाम में शहादत की अवधारणा का अपमान और जानबूझकर किया गया अपमान है।
मालविंदर सिंह कंग बोले- भारत सरकार दखल दे
वहीं अब इस मामले में भारत के पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और सांसद मालविंदर सिंह ने कहा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह करोड़ों लोगों के प्रेरणा स्त्रोत हैं। पाकिस्तान में भी उनके समर्थक हैं। पाकिस्तान पंजाब की सरकार का हाईकोर्ट में इस तरफ का हल्फनामा देना यह बहुत दुखदाई और पीड़ा दायक है। आम आदमी पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करती है कि इस मामले में दखल दे। साथ ही जो शब्दाबली प्रयोग की गई है, उसकी हम निंदा करते हैं। हाईकोर्ट के रिकॉर्ड से यह शब्द हटाए जाने चाहिए।