शारदीय नवरात्रों का आज पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। इस उपलक्ष्य पर माता वैष्णो देवी के दरबार में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की पहुंचने की उम्मीद है। वहीं, मंदिर परिसर की सजावट की कुछ तस्वीरे भी सामने आई है।
वैष्णो देवी भवन दुल्हन की तरह सजकर तैयार हो गया है। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड नवरात्रों के दौरान वैष्णो देवी भवन पर नमन हेतु आने वाले श्रद्धालु की सुविधा के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है ताकि नवरात्रों के दौरान श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
रंग-बिरंगे फूलों व लाइटों के साथ सजाया गया
वहीं, कटड़ा की बात करें तो कटड़ा में भी श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए ड्योढ़ियों का निर्माण कार्य लगभग मुकम्मल हो गया है। बाणगंगा स्थित दक्षिणी ड्योढ़ी को भी रंग-बिरंगी लाइटों की सजाया गया है जबकि तारा कोर्ट मार्ग के प्रवेश द्वार को भी इस बार सजाया गया है। हर साल की तरह इस बार भी सजावट में रंग-बिरंगे फूलों के साथ देसी व विदेशी फूलों को प्राथमिकता दी गई है।
कैसा है मां शैलपुत्री का स्वरुप?
नवरात्र के पहले दिन माता पार्वती की प्रतिमा की पूजा की जाती है। इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है क्योंकि वे हिमालयराज के घर पैदा हुईं थीं। माता शैलपुत्री का स्वभाव अत्यंत शांत और साधारण है। माता ने एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल पकड़े हुए हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए माता शैलपुत्री ने कठोर तपस्या की थी।
शास्त्रों के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा को प्रतिनिधित्व करती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माता शैलपुत्री की उपासना करने से चंद्रमा के बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं। इनकी पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है। मां शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता मिलती है।