पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नगर-निगम चुनाव को लेकर सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार व राज्य चुनाव आयोग को अवमानना का नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने आदेशों का पालन न करने का आरोप लगाया है।
बता कें कि चुनाव को लेकर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है। अब हाईकोर्ट ने पहले 15 दिन में निकाय चुनाव करवाने संबंधी नोटिफिकेशन जारी करने के आदेश पंजाब सरकार व राज्य चुनाव आयोग को दिए थे। लेकिन इस संबंध में चुनावों को लेकर कोई शेड्यूल जारी नहीं किया गया।
50 हजार का जुर्माना लगाने की चेतावनी
जिसके बाद कोर्ट में इस संबंधी याचिका दायर हुई है। वहीं हाईकोर्ट ने अब आदेश में कहा है कि 10 दिनों में नोटिफिकेशन जारी नहीं हुई तो 50 हजार का जुर्माना लगेगा। साथ ही अवमानना का केस चलेगा।
हाईकोर्ट ने जारी किए थे ये आदेश
आपको बता दें कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार को आए हुए चार साल होने वाले है। लेकिन पंजाब के नगर निगमों और काउंसिलों इत्यादि के चुनाव नहीं करवाए गए, जिस कारण हाईकोर्ट ने पिछले दिनों एक फैसले में राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि 15 दिन के अंदर नगर निगम चुनाव संबंधी शेड्यूल जारी किया जाए और इसकी सूचना हाईकोर्ट को दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट में दी हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती
हाईकोर्ट के आदेश आए 15 दिन से ज्यादा का वक्त बीत चुका है परंतु पंजाब सरकार ने अभी तक राज्य में नगर निगम चुनाव संबंधी कोई शेड्यूल जारी नहीं किया है। दूसरी ओर आज पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे डाली और राज्य सरकार की ओर से एक एस.एल.पी (स्पेशल लीव पिटिशन) दायर कर दी गई।
एस.एल.पी. नंबर 51131/ 2024 में संभवत यह तर्क दिया गया है कि फगवाड़ा नगर निगम संबंधी एक याचिका पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है और उसपर अभी कोई फैसला नहीं आया है परंतु हाईकोर्ट ने सभी निगम चुनावों का शेड्यूल जारी करने के निर्देश दे दिए हैं।
हो सकती है चुनावों में देरी?
यह एसएलपी स्टेट ऑफ पंजाब बनाम बेअंत कुमार के टाइटल से दायर की गई है। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट में लिस्ट कर लिया गया है और जल्द इस पर सुनवाई संभावित है। माना जा रहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्त्ताओं के तर्क से सहमत होते हुए स्टे आर्डर जारी कर दिया तो पंजाब में नगर निगम चुनावों में और कई महीनों की देरी हो सकती है। राजनीतिक क्षेत्रों में तो यह भी चर्चा है कि सुप्रीम कोर्ट में यह केस एक प्रसिद्ध वकील (जो कांग्रेस के पदाधिकारी रहे हैं) द्वारा लड़ा जाएगा।