अयोध्या में 16 जनवरी से शुरू हुए प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का शुक्रवार 19 जनवरी को चौथा दिन है। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। गुरुवार को रामलला की मूर्ति को गर्भगृह में बने आसन पर रख दिया गया। कारीगरों ने मूर्ति को आसन पर खड़ा किया। इस प्रोसेस में 4 घंटे लगे। बताया गया है कि अब मूर्ति को गंध वास के लिए सुगंधित जल में रखा जाएगा। फिर अनाज, फल और घी में भी रखा जाएगा।
आज श्रीरामलला वैदिक मंत्रों के साथ औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास करेंगे। फिर आरणी मंथन से कुंडों में अग्नि प्रकट की जाएगी। आचार्य अरुण दीक्षित ने कहा कि अग्नि देव को प्रकट करने के लिए आरणी मंथन होगा। श्रीरामलला 20 जनवरी को वास्तु शांति के बाद सिंहासन पर विराजेंगे।
वस्त्र का रंग दिन के अनुसार बदलेगा
उसके बाद सफेद वस्त्र धारण करेंगे। रामलला के वस्त्र का रंग दिन के अनुसार बदलता रहता है। रविवार को गुलाबी, सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को क्रीम कलर और शनिवार को रामलला नीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं।
54 देशों से आएंगे खास महमान
रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा में देश की नामचीन हस्तियों के साथ 54 देशों के 100 प्रतिनिधि भी खास मेहमान होंगे। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, मॉरीशस समेत कई यूरोपीय, अफ्रीकी और बौद्ध देशों के अतिथियों को आमंत्रित किया है।
क्रीम कलर के वस्त्र पहनाए गए
रामलला अपने तीनों भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ अस्थाई मंदिर में विराजित हैं। आज उन्हें क्रीम कलर के वस्त्र पहनाए गए। दिन के हिसाब से भगवान का शृंगार होता है। सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरे, बृहस्पतिवार को पीले, शुक्रवार को क्रीम, शनिवार को नीले और रविवार को पिंक वस्त्र पहनाए जाते हैं।
अरुण योगीराज की मूर्ति रखी गई
मशहूर मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई गई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसकी जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने दी।
प्राण प्रतिष्ठा क्या है
हिंदू धर्म में, प्राण-प्रतिष्ठा एक पवित्र अनुष्ठान है जिसमे भगवान का एक हिस्सा एक दिव्य छवि में स्थापित किया जाता है। अयोध्या में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह चल रहा है। वैदिक अनुष्ठान के बाद मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। सात दिन के अनुष्ठान में गर्भगृह, निवास, यज्ञ आदि की शुद्धि शामिल होगी। इसमें नेत्र विज्ञान और रिफ्लेक्सोलॉजी भी शामिल है।