Rice Library of 500 indigenous seeds created in memory of farmer father : खेती के लिए मिट्टी से भी ज्यादा जरूरी बीज होते हैं, इसलिए मैं मानता हूँ कि बीज का Price नहीं Value होती है। खेती और देसी बीज के विषय में यह कहना है असम के बीज रक्षक महान चंद्र बोरा का। जिन्होंने अपने किसान पिता की याद में 500 स्वदेशी बीजों की Rice Library बनाई है। इतना ही नहीं आज वह देशभर के किसानों को अपने संरक्षित बीज मुफ्त में दे भी रहे हैं। इतना ही नहीं उनके बैंक में दुर्लभ सब्जियों के भी तरह-तरह के बीज मौजूद हैं। आज वह भाओ धन, डोल कोसो, नवारा जैसे दुर्लभ किस्मों को किसानों के बीच फिर से लोकप्रिय बनाने के साथ ही एक Seed School बनाकर बीजों को संरक्षित करना भी सीखा रहे हैं। सही मायनों में देखा जाए तो महान चंद्र का यह प्रयास सिर्फ बीज बल्कि देश में खेती के भविष्य को संरक्षित करने का काम कर रहा है।
पिता का बताया ही रहा याद : बोरा
महान चंद्र बोरा ने बताया पिताजी ने एक बार मुझे कहा था जितना हो सके केमिकल कम इस्तेमाल करो और ऐसे ही मैंने अपने खेत का काम करना शुरू किया। मैंने एक बात नोटिस की कि हमारे जो देसी बीज हैं विशेषकर धान के बीज हमारे किसानों की जमीन से ख़त्म होते जा रहे हैं, इसलिए मैंने कुछ करने का फैसला किया।
अन्नपूर्णा Rice Library का बीज बैंक
पिता के निधन के बाद जब असम के महान चंद्र बोरा खेती से जुड़े तब उन्होंने न सिर्फ धान की लुप्त होती किस्मों की खेती शुरू की बल्कि अन्नपूर्णा Rice Library नाम से एक बीज बैंक भी बनाया। उन्होंने धीरे-धीरे खुद इस काम को शुरू किया, जिसमें उन्होंने पिताजी के बचाए हुए बीज सबसे पहले संरक्षित करना शुरू किया।
बीज का Price नहीं Value होता है
साल 2008 में बीज बैंक बनाने के बाद महान चंद्र ने इन दुर्लभ किस्मों को अपने तक सीमित न रखते हुए देशभर के किसानों तक पहुंचाने का फैसला किया। महान मानते हैं कि बीज का Price नहीं होता इसका Value होता है।