पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल को प्लॉट खरीद फरौत और भ्रष्टाचार के मामले में 15 फरवारी तक अंतरिम रोक लगाते हुए जमानत दे दी है। साथ ही पंजाब सरकार और अन्य को उनकी अग्रिम जमानत की मांग पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
छह राज्यों में की गई थी तलाशी
विजिलेंस ब्यूरो ने 24 सितंबर को बठिंडा के प्लॉट अलॉटमेंट से जुड़े मामले में मनप्रीत बादल और उनके पांच साथियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। विजिलेंस ने उनकी तलाशी छह राज्यों में की थी। चंडीगढ़ में उनके घर पर भी छापा मारा था, लेकिन वहां पर भी उनका कोई सुराग नहीं मिला। विजिलेंस ब्यूरो ने पूर्व विधायक सरूप चंद सिंगला की शिकायत के आधार पर जांच शुरू की थी, जिसमें बठिंडा में एक प्रमुख स्थान पर संपत्ति की खरीद में अनियमितता का आरोप लगाया गया था।
मनप्रीत ने अपनी याचिका में दलील दी है कि मौजूदा सरकार एफआईआर कर उन लोगों को जेल में डालने की कोशिश कर रही है जो किसी न किसी तरह पिछली सरकार से जुड़े रहे हैं। सरकार ने एजेंडे में टॉप पर अपने विरोधियों को बदलेके लिए पब्लिक अपमान करने को रखा है।
मनप्रीत पर यह हैं आरोप
मनप्रीत के खिलाफ एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने बठिंडा डैवेलपमेंट अथॉरिटी (बीडीए) को प्रभावित करने के लिए अपने पद और शक्ति का इस्तेमाल किया। प्लॉटों को साल 2021 में कम दर पर नीलामी के लिए रखा और साइट प्लान अपलोड नहीं किया। ऐसा करके जनता को नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने से रोक दिया। याचिकाकर्ता के विश्वासपात्र लोग जिन्हें साइट के विवरण की विशेष जानकारी थी उन्होंने नीलामी में भाग लिया और उक्त पलॉट्स को लगभग रिजर्व प्राइस पर ले लिया। इससे राज्य के खजाने को नुकसान हुआ।