केंद्रीय बजट 2024-25 आज पेश हुआ। लेकिन पंजाब के लिए विशेष पैकेज घोषित नहीं किए जाने के बाद कांग्रेस सांसदों ने संसद के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, शिरोमणि अकाली दल से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने इसे सरकार बचाओ बजट बताया है। इधर पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार किया गया।
कांग्रेस सांसदों ने एनडीए सरकार को पंजाब के साथ विश्वासघात करने वाली सरकार बताया। लुधियाना के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर भाजपा को पंजाब के साथ सौतेला व्यवहार करने वाली सरकार बताया है।
हरमाल चीमा बोले- पंजाब के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार
पंजाब के वित्तमंत्री हरपाल चीमा ने इस बजट से निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि पंजाब के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार किया है। छोटे उद्योग के लिए कुछ नहीं दिया। फर्टिलाइजर पर जो 36% सब्सिडी मिलती थी, वे घटा दी है। इनपुट कॉस्ट बढ़ गई है। भाजपा सरकार किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर रही है। इससे पता चलता है भाजपा पंजाब विरोधी पार्टी है। इस बजट ने पंजाब को बुरी तरह निराश किया है।
हरसिमरत कौर बादल ने लिखा- सरकार बचाओ बजट
हरसिमरत कौर बादल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि केंद्रीय बजट 2024 को सरकार बचाओ बजट के रूप में जाना जाएगा, जो बिहार और आंध्र प्रदेश में दो एनडीए सहयोगियों के लिए बनाया गया था, जबकि देश भर में किसानों, गरीबों और युवाओं को नजरअंदाज कर दिया गया था।
शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के एनडीए गठबंधन और सरकार से बाहर निकलने के बाद से लगातार छठे बजट में पंजाब के लिए कुछ भी नहीं है। “पंजाब के मुद्दों को हल करने” के नाम पर अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए भाजपा में शामिल होने वालों को अब जवाब देना चाहिए कि राज्य को केंद्र के हाथों लगातार भेदभाव का सामना क्यों करना पड़ रहा है।
सुखबीर बादल ने बताया भेदभावपूर्ण बजट
अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बजट को भेदभावपूर्ण बताया है। उन्होंने 10 पॉइंट अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पर डालकर विरोध जताया है। उन्होंने कहा-
- केंद्रीय बजट 2024-25 पंजाब के प्रति भेदभावपूर्ण है।
-राज्य की कोई भी मांग नहीं मानी गई।
-राज्य के किसानों के लिए अति आवश्यक विविधीकरण या ऋण माफी के लिए कोई आवंटन नहीं किया गया है।
-पड़ोसी पहाड़ी राज्यों को दिए गए प्रोत्साहनों के कारण ठप पड़े औद्योगिक क्षेत्र के लिए किसी कर रियायत की घोषणा नहीं की गई है।
- केंद्र सरकार MSP के लिए कानूनी गारंटी देने और एमएसपी पर सभी फसलों की खरीद के लिए धन आवंटित करने में भी विफल रही है।
- गरीबों और युवाओं की भी कमी हो गई है। मनरेगा में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
-आय असमानता को दूर करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है। यहां तक कि 5,000 रुपये प्रति माह की अप्रेंटिसशिप योजना भी दिखावा है, क्योंकि इस टोकन राशि का लाभ उठाने के लिए युवा विस्थापित होकर बड़ी कंपनियों में शामिल नहीं हो पाएंगे।
- गठबंधन की मजबूरियां राष्ट्रीय हित से अधिक महत्वपूर्ण लगती हैं।
- सरकार का समर्थन करने वाले प्रमुख सहयोगियों को जिस असंतुलित तरीके से धन आवंटित किया गया है, उसने कई प्रमुख राज्यों को धन से वंचित कर दिया है। इसकी समीक्षा किये जाने की जरूरत है।
- सीमावर्ती राज्य होने के नाते पंजाब को इस तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।