No one wears clothes on this island, even the army cannot go there : भारत आजाद देश है, जहां किसी भी व्यक्ति का किसी भी जगह पर जाना मना नहीं है। वहीं इसके इतर, एक ऐसे द्वीप के बारे में जानते हैं जहां के लोग कभी कपड़े पहने नहीं दिखते, साथ ही इस द्वीप पर बाहर से कोई व्यक्ति नहीं जा सकता। सेना भी नहीं। दरअसल ये पाबंदी खुद भारत सरकार ने लगाई है, लेकिन क्यों ? चलिए आज इसी द्वीप की दिलचस्प बातें जानते हैं।
इस द्वीप पर नहीं जा सकता कोई
हमअंडमान-निकोबार द्वीप समूह के सेंटिनल द्वीप की बात कर रहे हैं जहां पर एक ऐसा जनजातीय समुदाय रहता है, जिनका बाहरी और नई सभ्यता से कोई लेना-देना नहीं है। वो आज भी पुराने तौर-तरीकों से जिंदगी जी रहे हैं। इस द्वीप पर पुरुष, महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग व पुराने आदिवासी कबिलों की ही तरह बिना कपड़ों के रहते हैं।
जानलेवा तक साबित हो सकता
वहीं सेंटिनल द्वीप पर जाना जानलेवा तक साबित हो सकता है, जिसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि कुछ साल पहले कुछ विदेशी पर्यटक बिना किसी को बताए इस द्वीप पर गए थे लेकिन वो कभी जिंदा लौटकर नहीं आए। सिर्फ शव ही द्वीप से बाहर मिला था। इसपर रहने वाली सेंटिनेलिस जनजाति को बेहद खतरनाक माना जाता है।
आइलैंड दिखने में बहुत खूबसूरत
इसके बाद एक अमेरिकी पर्यटक भी इस द्वीप पर गया था। इसके बाद इस द्वीप पर रहने वाले सेंटिनेलिस जनजातीय समुदाय के आदिवासियों ने उसकी भी कथित तौर पर हत्या कर दी थी। इस द्वीप के बारे में जो थोड़ी-बहुत जानकारी बाहर आ पाई है। उसके मुताबिक सेंटिनल आइलैंड दिखने में बहुत खूबसूरत है।
द्वीप पर कब से रह रहे सेंटिनेलिस
नार्थ सेंटिनल आइलैंड एक अनसुलझी पहेली की तरह है। माना ये भी जाता है कि इस द्वीप पर रहने वाली जनजाति 60,000 सालों से यहां रह रही है, क्योंकि इस द्वीप पर अब किसी का आना-जाना नहीं है इसलिए यहां रहने वाली जनजाति की जनसंख्या की मौजूदा समय में कोई ठोस जानकारी नहीं है।
100 या 200 हो सकती आबादी
अनुमान लगाया जाता है कि इनकी कुल आबादी कुछ दर्जनभर लोगों से लेकर 100 या फिर 200 हो सकती है। कई बार इन्हें समुद्र तटों पर टहलते हुए देखा गया है। इसी को देखते हुए माना जाता है कि ये लोग कोई कपड़ा नहीं पहनते हैं।
किसी को भी कोई जानकारी नहीं
वहीं इस द्वीप के लोग बाहरी दखल को बर्दाश्त नहीं करते हैं इसलिए इनके रहन-सहन, रीति-रिवाज और भाषा की किसी को भी जानकारी नहीं है। इनकी भाषा दुनिया की सबसे अलग भाषा है, जिसे कोई समझ भी नहीं पाता।