पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को बड़ा झटका देते हुए जल्द से जल्द नगर निगम चुनाव कराने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने 15 दिनों के भीतर नगर निगम चुनावों को लेकर नोटीफिकेशन जारी करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य के नगर निगमों फगवाड़ा, अमृतसर, पटियाला, जालंधर, लुधियाना और 42 नगर परिषदों-नगर पंचायतों के चुनाव कराने का भी आदेश दिया है, जहां पांच साल की अवधि समाप्त होने के बाद चुनाव होने थे।
बिना परिसीमन के चुनाव कराने के आदेश
पीठ के समक्ष बहस करते हुए पंजाब के महाधिवक्ता (एजी) ने कहा कि विभाग को घर-घर सर्वेक्षण करने, कच्चा नक्शा तैयार करने और उसका परिसीमन करने के लिए प्रत्येक नगर पालिका के लिए एक परिसीमन बोर्ड का गठन करने की आवश्यकता है। बताया गया कि 47 में से 44 नगर पालिकाओं के लिए परिसीमन बोर्ड का गठन किया जा चुका है और तीन नगर पालिकाओं यानी नगर निगम जालंधर, नगर परिषद तलवाड़ा और नगर पंचायत भादसों के गठन की प्रक्रिया जल्द ही जारी की जाएगी।
कार्यकाल समाप्त होने के कारण विकास कार्य ठप है
एजी ने यह भी कहा कि वार्डों के परिसीमन की पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कुल 16 सप्ताह की अवधि की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि 17 अक्टूबर 2023 को परिसीमन का पिछला निर्णय रद्द कर दिया गया था, इसलिए वार्डों का नए सिरे से परिसीमन करना आवश्यक है। हालांकि, दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने राज्य को बिना परिसीमन प्रक्रिया के चुनाव कराने का आदेश दिया।
42 नगर परिषदों का कार्यकाल कई महीने पहले हो चुका खत्म
इस मामले में मालेरकोटला निवासी बेअंत सिंह ने हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा कि पंजाब की 42 नगर परिषदों का कार्यकाल कई महीने पहले खत्म हो चुका है। इनमें से कई का कार्यकाल समाप्त हुए दो साल से अधिक हो गया है, जिसके कारण यहां के सभी विकास कार्य ठप पड़े हैं।
याचिका के अनुसार, राज्य में अधिकांश नगर परिषदों का कार्यकाल दिसंबर 2022 में समाप्त हो गया है। लेकिन अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं।
2023 में चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की गई
कोर्ट को बताया गया कि 1 अगस्त 2023 को स्थानीय निकाय विभाग ने नगर परिषद चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की थी, जो 1 नवंबर 2023 को होनी थी। लेकिन आज तक चुनाव नहीं हुए।
याचिका के मुताबिक, उन्होंने चुनाव कराने के लिए 5 जुलाई को सरकार को कानूनी नोटिस भेजा था, लेकिन अभी तक उन्हें सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है। इसलिए अब उन्हें हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार से चुनाव कराने के निर्देश मांगने को मजबूर होना पड़ा है।